
मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी लगातार उफान पर है और नेपाल से छोड़े गए पानी का असर पूरे जिले में दिखाई देने लगा है। जलस्तर में हो रही तेजी से बढ़ने के कारण शहर और आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी उफान पर है और नेपाल से छोड़ा गया पानी का गंभीर असर जिले में दिख रहा है। बढ़ते जलस्तर के कारण शहर और आसपास के इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। वहीं, अहियापुर थाना क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है, जहां बाढ़ का पानी थाने के अंदर तक घुस गया है। साथ ही जीरोमाइल से लेकर मेडिकल कॉलेज तक सड़कों पर पानी भर गया है और कई घरों में भी जलजमाव हो चुका है। स्थानीय लोग बेबस में छतों और ऊंची जगहों पर शरण लेने को मजबूर हैं। अहियापुर थाने का ग्राउंड फ्लोर पूरी तरह पानी में डूब गया है। वहीं, थाने में रखी कई जब्त वाहन बाढ़ के पानी में डूब गई हैं। इसे लेकर थाने के दरोगा अर्जुन कुमार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे थाने तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है। अब कर्मचारियों को वर्दी मोड़कर और जूते हाथ में लेकर आना पड़ता है। महिला अधिकारियों को इस स्थिति में सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, बालूघाट बांध के किनारे के निचले इलाकों में लगभग 500 झोपड़ियों में पानी भर गया है। और लोग घरों तक पहुंचने के लिए नाव या बांस का सहारा ले रहे हैं। संगम घाट के आसपास की सब्जी और धान की फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं। प्रशासन ने राहत शिविरों की तैयारी शुरू कर दी है, वहीं स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए मेडिकल टीम तैनात की है। पशुपालन विभाग ने भी पशुओं के टीकाकरण और चारे की आपूर्ति की योजना बनाई है।
गौरतलब है कि जिले में गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान से केवल आधे मीटर कम है। अगर अगले 24 घंटों में बारिश होती है या उत्तर बिहार के जलग्रहण क्षेत्रों से पानी की स्तर बढ़ती है, तो शहर के अन्य हिस्सों में भी जलभराव हो सकता है। जिला प्रशासन ने नागरिकों से सतर्क रहने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है