
बिहार की राजनीति में इन दिनों प्रशांत किशोर की नवगठित जन सुराज पार्टी (जेएसपी) और उसके प्रमुख नेताओं को लेकर घमासान मचा हुआ है। इसी बीच, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह अपनी अथाह संपत्ति और जन्म की तारीख में हेरफेर के गंभीर आरोपों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा बटोर रहे हैं।
भाजपा नेता दानिश इकबाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से उदय सिंह पर तंज कसते हुए ‘उम्र घोटाले’ का आरोप लगाया है। बीजेपी का कहना है कि 2004 के चुनाव में उनकी उम्र 44 साल थी, जबकि 2009 के चुनाव में उन्होंने अपनी उम्र 57 साल बताई। भाजपा नेता ने सवाल किया है कि “आखिर 5 साल में 13 साल कैसे बढ़ गए?” इन आरोपों ने बिहार की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
चुनावी हलफनामे में ₹341 करोड़ से अधिक की संपत्ति का खुलासा
राजनीतिक विवादों के बीच, उदय सिंह अपनी विशाल वित्तीय स्थिति को लेकर भी सुर्खियों में हैं। उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति ₹341 करोड़ रुपये से अधिक है। यह विशाल संपत्ति उन्हें बिहार के सबसे धनी नेताओं में से एक बनाती है। हलफनामे के अनुसार, उदय सिंह पर ₹71 करोड़ रुपये का कर्ज भी है।
पटना का ‘शेखपुरा हाउस’ बना जन सुराज का दफ्तर
उदय सिंह के पास दिल्ली, पूर्णिया और पटना में कई आलीशान मकान और बंगले हैं। पटना का प्रतिष्ठित ‘शेखपुरा हाउस’ भी उन्हीं की संपत्ति है। गौरतलब है कि इसी बंगले के एक हिस्से को जन सुराज पार्टी का दफ्तर बनाया गया है, जहां स्वयं प्रशांत किशोर भी निवास करते हैं।
मजबूत राजनीतिक और नौकरशाही पृष्ठभूमि
उदय सिंह का राजनीतिक सफर भी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वह पूर्णिया लोकसभा सीट से दो बार बीजेपी सांसद (2004 और 2009) रह चुके हैं। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन 2024 में टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। मई 2025 में प्रशांत किशोर ने उन्हें अपनी जन सुराज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया।
उदय सिंह का परिवार भारतीय राजनीति और नौकरशाही में गहरी जड़ें रखता है। उनके पिता टीपी सिंह इंडियन सिविल सर्विस (ICS) अधिकारी थे, और मां माधुरी सिंह दो बार सांसद रह चुकी हैं। उनके भाई, बहन और बहनोई भी IAS, IPS और राज्यपाल जैसे उच्च पदों पर रह चुके हैं, जो उनके असरदार पारिवारिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।
प्रशांत किशोर का उदय सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना यह स्पष्ट करता है कि जन सुराज आगामी चुनाव में बड़े और आर्थिक रूप से मजबूत नेताओं के सहारे मैदान में उतरकर बिहार की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर करना चाहती है।
