
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दरभंगा ग्रामीण सीट एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। यह सीट दशकों से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का अभेद्य किला रही है, जिसे ध्वस्त करने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बार, एनडीए ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के जिलाध्यक्ष ईश्वर मंडल को मैदान में उतारा है, जिनका लक्ष्य है दरभंगा ग्रामीण में लगातार जल रही ‘लालटेन’ (RJD का चुनाव चिन्ह) की लौ को बुझाना।
दरभंगा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र को RJD का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है, जिसका पूरा श्रेय यहां से लगातार विधायक रहे ललित कुमार यादव को जाता है। ललित यादव 1995 से इस क्षेत्र पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं और 2025 का चुनाव जीतकर वे सातवीं बार विधायक बनने की दहलीज पर खड़े हैं। 1990 से यह सीट लगातार जनता दल और उससे बनी RJD के कब्जे में रही है, जिससे यह जिले की एकमात्र सीट है जहां आज भी ‘लालटेन’ जल रही है। 2010 में मनीगाछी क्षेत्र के विलोपित होने के बाद ललित यादव को दरभंगा ग्रामीण से उतारा गया था, और तब से वह लगातार तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं और चौथी बार (कुल मिलाकर सातवीं बार) जीत के लिए आतुर हैं।
ललित यादव की लगातार सफलता दर को रोकने के लिए, JDU ने एक नई रणनीति के तहत ईश्वर मंडल को टिकट दिया है। यह पहला मौका है जब RJD के कद्दावर नेता ललित यादव के खिलाफ एनडीए ने किसी हिंदू उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस कदम से सीट का वोट गणित बदल सकता है, जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। हालांकि, ललित यादव को घर-घर में स्थापित अपने ‘पारिवारिक संबंधों’ और मजबूत व्यक्तिगत पकड़ पर जीत का पूरा भरोसा है।
पिछला चुनाव, यानी 2020 में, ललित यादव को कड़ी चुनौती मिली थी। JDU ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी के पुत्र डॉ. फराज फातमी को उतारा था, जिन्होंने ललित यादव को कड़ी टक्कर दी थी। शुरुआती दौर में ऐसा लगा था कि बाजी पलट जाएगी, लेकिन अंततः ललित यादव मात्र 2,141 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल करने में सफल रहे थे।
इस बार का चुनाव सीधा आमने-सामने का माना जा रहा है—एक तरफ RJD के अनुभवी नेता ललित यादव हैं, तो दूसरी तरफ JDU के नए चेहरे ईश्वर मंडल। मंडल के लिए यह पहला विधानसभा चुनाव है, और उन्हें एक ऐसे मजबूत किले को भेदने की जिम्मेदारी मिली है, जहां उनकी जीत की राह मुश्किल है।
प्रमुख चुनावी मुद्दे:
इस क्षेत्र के प्रमुख चुनावी मुद्दे ललित यादव और RJD के सामने बड़ी चुनौती पेश करते हैं:
किसानों की बदहाली: कभी ईंख की खेती और समृद्धि के लिए जाना जाने वाला यह इलाका चीनी मिल बंद होने के बाद मायूसी झेल रहा है।
बाढ़ और सुखाड़ का कहर: बरसात में नदियों का प्रकोप और बाढ़ के कारण ग्रामीण सड़कें बदहाल हो जाती हैं, जिससे हर साल फसल बर्बाद होती है।
स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल: इलाके में सरकारी पीएचसी और एपीएचसी होने के बावजूद स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी के चलते ग्रामीणों को मामूली इलाज के लिए भी दरभंगा शहर जाना पड़ता है।
जनता की खामोशी इस बार किसी बड़े बदलाव का संकेत दे रही है, जिससे यह मुकाबला ‘लालटेन’ और ‘तीर’ (JDU का चुनाव चिन्ह) के बीच सीधी और रोमांचक टक्कर के रूप में देखा जा रहा है।
