
बिहार विधानसभा चुनाव का आगाज़ हो चुका है और इस बीच राज्य में प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या में वापसी हुई है। ये मजदूर दीपावली और छठ महापर्व मनाने के लिए अपने घर लौटे हैं। हालांकि, उनकी वापसी के साथ ही उनके वापस लौटने की गति और समय ने चुनावी सरगर्मियों को बढ़ा दिया है, खासकर तब जब राज्य में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है। एक अनुमान के मुताबिक, छठ पर्व के ठीक बाद लगभग 20 लाख प्रवासी मजदूर वापस अपने काम पर लौट जाएंगे, जिससे बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी भागीदारी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
राज्य में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों की मौजूदगी ने जहां एक ओर त्योहारों की रौनक बढ़ाई है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज़ है कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं की अनुपस्थिति चुनावी नतीजों को किस ओर मोड़ेगी।
रेलवे की विशेष तैयारी, वापसी का बढ़ा बोझ
प्रवासी मजदूरों की वापसी और फिर काम पर लौटने की विशाल संख्या को देखते हुए भारतीय रेलवे ने विशेष प्रबंध किए हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए नियमित ट्रेनों के अलावा, बिहार से लगभग 4000 अतिरिक्त ट्रेनों के फेरे चलाने का निर्णय लिया गया है। इन अतिरिक्त फेरों में यात्रियों ने अपनी वापसी के लिए पहले ही रिजर्वेशन करा लिया है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि त्योहार खत्म होते ही वे वापस अपने कार्यस्थलों पर लौट जाएंगे।
आँकड़ों पर गौर करें तो स्थिति और भी स्पष्ट हो जाती है। रेलवे के अनुसार, 28 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच सबसे अधिक लगभग 14 लाख यात्रियों ने अपनी वापसी के लिए रिजर्वेशन कराया है। इसके ठीक बाद, दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले यानी 6 से 10 नवंबर के बीच 6 लाख यात्रियों ने कंफर्म टिकट लिए हैं। यह कुल संख्या लगभग 20 लाख हो जाती है, जिनकी चुनाव में भागीदारी प्रभावित होने की प्रबल संभावना है। आरक्षित टिकटों के अलावा, रेलवे का यह भी अनुमान है कि 28 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच जनरल कोचों से भी लगभग 10 लाख यात्री और यात्रा कर सकते हैं। यह अतिरिक्त भीड़ चुनाव के समय बिहार में मतदाताओं की संख्या को और कम कर सकती है।
पिछले वर्ष, यानी 2024 में छठ पर्व 8 नवंबर को समाप्त हुआ था और 8 से 14 नवंबर के बीच लगभग 42 लाख यात्री राज्य से वापस लौटे थे। हालांकि इस वर्ष यह संख्या कुछ कम रहने का अनुमान है, फिर भी रेलवे ने इसके लिए लगभग 12000 फेरे लगाने वाली सैकड़ों स्पेशल ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है। यह स्पष्ट करता है कि राजनीतिक दल प्रवासियों को रोकने की कितनी भी कोशिश करें, लेकिन उनके काम पर लौटने की गति को थामना संभव नहीं हो पा रहा है।
मतदान में भागीदारी को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया
पटना के प्रमुख रेलवे स्टेशनों, जैसे पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर और दानापुर पर घर लौटने वाले कई प्रवासी मजदूरों ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि वे मतदान में हिस्सा लेंगे। वे अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्सुक हैं। हालांकि, कर्मचारी और अधिकारी वर्ग में चुनाव में भागीदारी के प्रति उत्साह थोड़ा कम दिखा है। प्रवासियों की इतनी बड़ी संख्या और उनके लौटने का समय निश्चित रूप से राज्य के चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
इस साल बिहार में प्रवासियों की बड़े पैमाने पर वापसी और त्योहारों के बाद उनकी निकासी के समय को देखते हुए, चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन को मतदान व्यवस्था और सुरक्षा इंतजामों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिक से अधिक लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें, भले ही वे कम समय के लिए ही बिहार में मौजूद हों। इस विशाल प्रवासी आबादी का चुनाव में हिस्सा न लेना बिहार के लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर रहा है।