
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के एलान के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct – MCC) तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से निर्वाचन आयोग द्वारा लागू किए गए इन नियमों का पालन करना अब सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और सरकारी मशीनरी के लिए अनिवार्य है। यह आचार संहिता चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से शुरू होकर परिणाम की घोषणा तक जारी रहेगी।
सरकारी सुविधाओं पर लगा प्रतिबंध
आदर्श आचार संहिता लागू होते ही मंत्रियों को सरकारी सुविधाओं के उपयोग पर रोक लगा दी गई है। अब कोई भी मंत्री या सत्ताधारी दल का नेता चुनाव प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर या सरकारी वाहनों का उपयोग नहीं कर सकेगा। उन्हें केवल निजी या किराए के वाहनों के उपयोग की अनुमति होगी, जिसका खर्च उनके चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, सभी सरकारी वेबसाइटों से नेताओं की तस्वीरें 48 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही, सरकारी संसाधनों, जैसे वाहन, विज्ञापन और वेबसाइटों का उपयोग चुनावी प्रचार के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
नई योजनाओं पर रोक और विज्ञापन पर नियंत्रण
आचार संहिता के दौरान कोई भी नई योजना शुरू नहीं की जा सकेगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सत्ताधारी दल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश न करे। इसके अलावा, विज्ञापनों के प्रसारण और प्रकाशन के लिए पूर्व प्रमाणीकरण (Pre-certification) अनिवार्य होगा। बिना अनुमति के किसी भी तरह के प्रसारण या प्रकाशन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
भड़काऊ बयानों पर अंकुश
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी दलों और प्रत्याशियों को व्यक्तिगत हमलों, सांप्रदायिक अपीलों या जाति-आधारित भावनाओं को भड़काने वाली गतिविधियों से बचना होगा। आलोचना केवल नीतियों और कार्यक्रमों तक ही सीमित रखी जा सकती है। भड़काऊ बयानों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी।
संपत्ति विरूपण पर कार्रवाई
सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने (जैसे दीवार लेखन, पोस्टर, बैनर लगाना) पर भी प्रतिबंध रहेगा। ‘बिहार प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1985’ के तहत सभी सरकारी या सार्वजनिक भवनों और दीवारों पर लगे पोस्टर, बैनर आदि को 24 से 48 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य है।
सभा और जुलूस के लिए लेनी होगी अनुमति
चुनाव प्रचार के दौरान सभाएं और जुलूस आयोजित करने के लिए राजनीतिक दलों और नेताओं को पहले अनुमति लेनी होगी। इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि इन आयोजनों से शोर-शराबा न हो और यातायात में बाधा न पड़े। शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग चुनावी सभाओं के लिए नहीं किया जा सकता है। जुलूसों में वाहनों की संख्या भी सीमित (10 से अधिक नहीं) रहेगी। लाउडस्पीकर का उपयोग रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक प्रतिबंधित रहेगा, और मतदान से 48 घंटे पहले तो इन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो जाएगा।
मतदान केंद्रों के पास प्रचार पर रोक
मतदान के दिन, मतदान केंद्रों के 100 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का प्रचार या भीड़ जमा करने पर रोक रहेगी। मतदाताओं को शराब परोसना या उन्हें परिवहन (ट्रांसपोर्ट) सुविधा प्रदान करना भी पूरी तरह से निषिद्ध है। प्रत्येक उम्मीदवार को मतदान के दिन सीमित संख्या में (1 से 3) वाहनों की अनुमति होगी। अनाधिकृत वाहनों को जब्त किया जा सकता है। सभी को मतदान अधिकारियों के साथ सहयोग करना अनिवार्य है ताकि चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सके।
