
बिहार की राजनीति में मज़बूत पकड़ रखने वाले बाहुबली नेता आनंद मोहन का परिवार आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में अपने सियासी प्रभाव को और बढ़ाने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार आनंद मोहन के दोनों बेटे चुनावी किस्मत आज़मा सकते हैं। उनके बड़े बेटे चेतन आनंद शिवहर से अपनी दावेदारी बरकरार रखेंगे, जबकि छोटे बेटे अंशुमान आनंद औरंगाबाद के नबीनगर से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर सकते हैं।
चेतन आनंद: शिवहर से आश्वस्त, क्षेत्र में सक्रिय
शिवहर से मौजूदा विधायक चेतन आनंद जनता दल यूनाइटेड (JDU) से टिकट मिलने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। चेतन आनंद की बेफिक्री उनके आत्मविश्वास को दर्शाती है। पिछले साल, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से बगावत करके नीतीश कुमार की JDU को अपना समर्थन दिया था। अब वह पटना में टिकट के लिए लॉबिंग करने के बजाय, अपने क्षेत्र में सक्रिय रहकर यह संदेश दे रहे हैं कि शिवहर सीट पर उनका टिकट कटने वाला नहीं है।
छोटे बेटे अंशुमान आनंद की JDU से राजनीतिक शुरुआत
आनंद मोहन के छोटे बेटे अंशुमान आनंद अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत JDU के टिकट से कर सकते हैं। उन्हें औरंगाबाद जिले की नबीनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की प्रबल संभावना है। अंशुमान ने पिछले साल अपनी माँ लवली आनंद के साथ ही पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस की नीतियों से प्रभावित होकर JDU में शामिल होने की बात कही थी।
शिवहर की राजनीति पर आनंद मोहन परिवार का निर्विवाद नियंत्रण
आनंद मोहन परिवार का शिवहर और आस-पास के क्षेत्रों की राजनीति पर प्रभाव 1995 से ही निर्विवाद रूप से बना हुआ है। विरोधी भी दबे स्वर में स्वीकार करते हैं कि आनंद मोहन किसी भी पार्टी से अंतिम समय में अपनी पसंद के सदस्य को टिकट दिलवाने में सक्षम होते हैं, भले ही दूसरे उम्मीदवार वर्षों से तैयारी कर रहे हों।
इस प्रभाव के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
लोकसभा चुनाव में टिकट दिलवाना: आनंद मोहन ने भाजपा की लगातार तीन बार की सांसद रमा देवी का टिकट कटवाकर अपनी पत्नी लवली आनंद को JDU से उम्मीदवार बनवाया था और उन्हें सांसद बनाया।
2020 में बेटे की जीत: 2020 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने RJD के संभावित उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा के पोते नवनीत झा का टिकट कटवाकर अपने बेटे चेतन आनंद को टिकट दिलवाया, और चेतन आनंद 37,000 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल करने में सफल रहे थे।
2015 का समीकरण: इससे पहले 2015 के चुनाव में, भाजपा के संभावित उम्मीदवार ठाकुर रत्नाकर राणा का टिकट कट गया था और लवली आनंद ने ‘हम’ पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, ठाकुर रत्नाकर के निर्दलीय लड़ने के कारण लवली आनंद को 400 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार चेतन आनंद और अंशुमान आनंद दोनों के मैदान में उतरने से यह स्पष्ट है कि आनंद मोहन परिवार शिवहर के साथ-साथ औरंगाबाद में भी अपनी राजनीतिक जड़ें मजबूत करने की तैयारी में है।
