
नेपाल की पहली महिला कार्यवाहक प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का जीवन संघर्ष, कर्तव्यनिष्ठा और साहसिक फैसलों की मिसाल है। 7 जून, 1952 को बिराटनगर में जन्मी कार्की ने 1972 में महेन्द्र मोरंग क्याम्पस से स्नातक किया, इसके बाद 1975 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से कानून की डिग्री लेकर उन्होंने 1979 में विधिक सेवा की शुरुआत की। वे 2010 में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनीं और 2016 से 2017 तक नेपाल की मुख्य न्यायाधीश रहीं।
उनकी व्यक्तिगत जीवन यात्रा भी कम रोचक नहीं रही। BHU में पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुवेदी से हुई, जो बाद में उनके जीवनसाथी बने। सुवेदी 1973 में नेपाल के पहले विमान अपहरण के मास्टरमाइंडों में शामिल थे। 10 जून 1973 को, उन्होंने दो अन्य युवकों—नगेन्द्र ढुंगेल और वसन्त भट्टराई—के साथ रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान को हाईजैक कर लिया था, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा भी सवार थीं। यह अपहरण तत्कालीन पंचायती शासन के खिलाफ विद्रोह के लिए धन जुटाने हेतु किया गया था।
अपहरणकर्ताओं ने विमान को भारत के बिहार स्थित फोर्ब्सगंज में उतरवाया और जंगल के रास्ते नकदी लेकर फरार हो गए। बाद में भारत में इमरजेंसी लगने के बाद सुवेदी को गिरफ्तार कर लिया गया और दो वर्षों की सजा काटने के बाद नेपाल को सौंपा गया।
सुशीला कार्की ने BHU में बिताए अपने दिनों को भारत से अपने संबंधों की नींव बताया। वे भारत को एक “मित्र राष्ट्र” मानती हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भी सकारात्मक विचार रखती हैं। उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों और राजनीतिक निष्पक्षता ने उन्हें एक ईमानदार और निर्भीक नेता के रूप में स्थापित किया।