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मोतिहारी में ₹2 करोड़ का घोटाला: स्कूलों की मरम्मति के नाम पर फर्जीवाड़ा

बिहार, फर्जीवाड़ा

मोतिहारी में ₹2 करोड़ का घोटाला: स्कूलों की मरम्मति के नाम पर फर्जीवाड़ा, DEO-DPO की चुप्पी पर सवाल

पूर्वी चंपारण जिले के शिक्षा विभाग में एक बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है, जहां सरकारी स्कूलों की मरम्मति के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध निकासी की गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अकेले तुरकौलिया प्रखंड के 29 स्कूलों में बिना कोई काम कराए ही लगभग ₹1.5 से ₹2 करोड़ का फर्जी बिल बनाकर सरकारी खजाने से पैसे निकाल लिए गए। इस चौंकाने वाले खुलासे के बावजूद, जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) की ‘रहस्यमयी’ चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

फर्जीवाड़ा और अधिकारियों की मिलीभगत
खुलासे के मुताबिक, मोतिहारी के तुरकौलिया प्रखंड के 29 स्कूलों में प्रत्येक के लिए लगभग ₹5 लाख का बिल बनाया गया था, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। यह फर्जीवाड़ा N.K.S. कंपनी के नाम पर किया गया, जिसने सिर्फ कागजों पर काम दिखाया और फर्जी बिल जमा कर दिए। आरोप है कि इन फर्जी बिलों को DPO (सर्व शिक्षा) और DPO (स्थापना) ने पास कर भुगतान के लिए आगे बढ़ाया।

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस घोटाले में स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को भी अंधेरे में रखा गया। कई प्रधानाध्यापकों ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि उनके स्कूलों में कोई मरम्मति कार्य नहीं हुआ है।

• यूएमएस टिकुलिया बालिका की प्रधानाध्यापक ने बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

• एनपीएस भैंसरा की पूर्व प्रिंसिपल ने भी कहा कि उनके स्कूल में ₹5 लाख का कोई काम नहीं हुआ है।

• जीएमएस तुरकौलिया बालक के प्रिंसिपल ने भी आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि इतनी बड़ी राशि की निकासी हो गई।

जिला शिक्षा विभाग पर उठे सवाल
इस घोटाले के सामने आने के बाद भी जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी यह चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं न कहीं उनकी भी मिलीभगत हो सकती है। सवाल यह है कि:

• बिना जमीनी जांच के करोड़ों के बिल कैसे पास हो गए?

• जब प्रधानाध्यापकों को ही काम की जानकारी नहीं है, तो अधिकारियों ने किस आधार पर बिलों को मंजूरी दी?

• क्या इस भ्रष्टाचार में बड़े अधिकारियों का भी ‘कमीशन’ तय था, जिसके चलते वे जांच से बच रहे हैं?

यह घटना बिहार में ‘सुशासन’ के दावों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। यह दिखाता है कि कैसे बिना किसी डर के सरकारी खजाने को लूटा जा रहा है। जिन 29 स्कूलों में यह फर्जीवाड़ा हुआ है, उनकी सूची में एनपीएस भैंसड़ा, यूएमएस निमुइया, जीपीएस माधोपुर मधुमालत, जीएमएस तुरकौलिया जैसे कई स्कूल शामिल हैं।

यह पूरा मामला तब सामने आया जब संग्रामपुर प्रखंड में इसी तरह के घोटाले की खबर सार्वजनिक हुई। हालांकि, अधिकारियों ने संग्रामपुर मामले में जांच के आदेश दिए, लेकिन तुरकौलिया मामले में वे चुप हैं, जिससे उनकी भूमिका और भी संदिग्ध हो गई है।

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