
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक धार तेज करते हुए भाजपा और जदयू पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पटना में आयोजित कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की विस्तारित बैठक में एक बड़ा राजनीतिक ‘तीर’ छोड़ते हुए आरोप लगाया कि भाजपा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘मानसिक संन्यास’ में धकेल दिया है। उन्होंने भाजपा पर नीतीश कुमार को ‘बोझ’ समझने का भी आरोप लगाया।
पटना में 84 साल बाद हो रही इस ऐतिहासिक बैठक में खड़गे ने अपने शुरुआती संबोधन में कहा कि एनडीए के भीतर चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। उन्होंने ‘डबल इंजन’ सरकार के विकास के दावों को खोखला बताते हुए कहा कि बिहार को केंद्र सरकार से कोई विशेष पैकेज नहीं मिला, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था पिछड़ रही है।
खड़गे ने देश में ‘वोट चोरी’ का एक गंभीर आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, “बिहार की तरह, अब पूरे देश में लाखों लोगों के वोट चुराने की साजिश रची जा रही है। दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अति पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, कमजोरों और गरीबों के राशन, पेंशन, दवाई, बच्चों की स्कॉलरशिप और परीक्षा शुल्क की चोरी हो रही है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने बिहार के लोगों में जागरूकता फैलाई है और राहुल गांधी को भारी समर्थन मिला है।
खड़गे ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए और कहा कि चुनाव आयोग खुद ही आरोपों के घेरे में है, लेकिन जवाब देने के बजाय वह कांग्रेस से हलफनामा मांग रहा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जाति-आधारित रैलियों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर भी हमला बोला।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, जो खुद को प्रधानमंत्री का उत्तराधिकारी मानते हैं, उन्होंने आरक्षण के खिलाफ लेख लिखने के बाद अपने राज्य में जाति-आधारित रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया।”
बिहार में हुए जातिगत जनगणना का जिक्र करते हुए खड़गे ने कहा कि महागठबंधन सरकार के रहते हुए जातिगत सर्वे कराया गया था और नौकरी व उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण कोटा 50% से बढ़ाकर 65% किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल किया कि उन्हें बढ़े हुए आरक्षण को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने से किसने रोका। खड़गे ने तमिलनाडु का उदाहरण दिया, जहाँ कांग्रेस सरकार ने 30 साल पहले 69% आरक्षण दिया था, और ‘डबल इंजन’ सरकार बिहार में ऐसा करने में विफल रही। इस बैठक में राहुल गांधी सहित देश भर के कांग्रेस नेता शामिल हुए, जहाँ ‘वोट चोरी’ और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।