
भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके आर.के. सिंह की मुलाक़ात की तस्वीर ने भोजपुर जिले की सियासत में हलचल मचा दी है. मुलाकात की तस्वीरें खुद पवन सिंह ने सोशल मीडिया पर साझा किया है.उन्होंने लिखा है- ‘एक नई सोच के साथ, एक नई मुलाकात.’ बस इतना लिखना ही काफ़ी था कि शाहाबाद की सियासत में चर्चाओं का तूफ़ान खड़ा हो गया.पिछले लोकसभा चुनाव में पवन सिंह भले ही काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने पूरे शाहाबाद की राजनीतिक तस्वीर बदल दी थी. उनके चुनावी प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आरा, काराकाट, बक्सर और सासाराम—चारों सीटों पर एनडीए का खाता नहीं खुल पाया.
2024 लोकसभा चुनाव में जब पवन सिंह ने जब चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया था, तब आरके सिंह ने खुले तौर पर उनका विरोध किया था. पार्टी से उन्हें निष्कासित कराने की सिफारिश तक कर दी थी. पवन सिंह के निष्काशन को राजपूत समाज ने इसे अपनी अस्मिता से जोड़ लिया और नाराज़गी का असर चुनाव परिणामों में साफ दिखाई दिया. पवन सिंह को हार का सामान करना पड़ा.हालांकि, काराकाट लोकसभा सीट पर पवन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा और सीपीआईएमएल के राजाराम सिंह को कड़ी टक्कर दी थी. पवन सिंह का असर बक्सर और सासाराम तक दिखा, जहां बीजेपी उम्मीदवार शिकस्त खा गए. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पवन सिंह ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जितनी मजबूती दिखाई, उसने यह साबित कर दिया कि उनकी पकड़ जमीनी स्तर पर मजबूत होती जा रही है.
सवाल-आरके सिंह से मुलाकात के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों के बीच पुराने गिले-शिकवे मिटाकर कोई नया समीकरण तैयार हो रहा है. क्या पवन सिंह अब सिर्फ फिल्मों तक सीमित रहने वाले स्टार नहीं, बल्कि राजनीति में बड़ा चेहरा बनने की ओर बढ़ रहे हैं?पवन सिंह के इस कदम से शाहाबाद की राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई है. भाजपा खेमे के भीतर भी यह चर्चा तेज है कि यदि पवन और आरके सिंह का मेल-मिलाप हो जाता है, तो आने वाले विधानसभा चुनावों में समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं. हालांकि, इस मुलाकात पर दोनों नेताओं ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि पावर स्टार अब राजनीति की बिसात गंभीरता से बिछाने लगे हैं.
