
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के निमंत्रण पर 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय दौरे पर जापान पहुंच चुके हैं। सात साल में यह उनका जापान का पहला एकल दौरा है। टोक्यो में भारतीय समुदाय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया, जहां जापानी कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दीं। इस यात्रा को भारत के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने और क्षेत्रीय व वैश्विक शांति व सुरक्षा को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है।
रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग पर जोर
पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में कहा कि उनका यह दौरा भारत-जापान की “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को और मजबूत करने का एक मौका है। इस साझेदारी ने पिछले 11 वर्षों में लगातार प्रगति की है। इस शिखर सम्मेलन का मुख्य एजेंडा आर्थिक और निवेश साझेदारी को गहरा करना है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरे के दौरान भारत को जापान से 68 अरब डॉलर तक के निवेश प्रतिज्ञाएं मिल सकती हैं। दोनों देशों के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सेमीकंडक्टर जैसे नई और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बुलेट ट्रेन और आर्थिक सुरक्षा समझौते
इस दौरे में एक बड़ा मुद्दा बुलेट ट्रेन परियोजना का भी है। ऐसी खबरें हैं कि दोनों देश भारत में अगली पीढ़ी की E10 शिंकानसेन बुलेट ट्रेन के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यह परियोजना 40 साल पहले सफल मारुति सुजुकी संयुक्त उद्यम के समान ही है, लेकिन इसका पैमाना और रणनीतिक महत्व कहीं अधिक है। यह भारत में स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिजों (critical minerals) और एआई पर केंद्रित एक आर्थिक सुरक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है। यह समझौता दोनों देशों के बीच तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर चीन के बढ़ते प्रभुत्व के बीच।
अन्य महत्वपूर्ण बैठकें और आगामी यात्रा
जापानी पीएम शिगेरू इशिबा से मुलाकात के अलावा, पीएम मोदी जापान के विभिन्न प्रांतों के गवर्नरों से भी मिलेंगे। यह बैठकें भारत और जापान के बीच संबंधों को केवल केंद्र सरकार तक सीमित न रखकर, स्थानीय स्तर पर भी मजबूत करने का प्रयास है। जापान का दौरा पूरा करने के बाद, पीएम मोदी चीन के तियानजिन शहर के लिए रवाना होंगे, जहाँ वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और 31 अगस्त को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे।