
राहुल गांधी ने सासाराम रैली में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ शुरू की, जिसमें कांग्रेस और ‘इंडिया गठबंधन’ के कई नेता शामिल थे। कन्हैया कुमार की उपस्थिति ने बिहार की सियासत में नई अटकलें पैदा कीं। सासाराम की इस सभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, भाकपा माले के दीपंकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी जैसे ‘इंडिया गठबंधन’ के कई दिग्गज नेता मंच पर मौजूद थे। पिछले दिनों पटना में राहुल गांधी की सभा में मंच पर जगह नहीं मिलने पर चर्चा में आए पप्पू यादव भी सासाराम में मंच पर नजर आए। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के आने के पहले मंच पर नजर आये.भाषण भी दिया। लेकिन जब लालू यादव और तेजस्वी मंच पर दिखे तो कन्हैया मंच से गायब थे।
लेकिन बाद में राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल के साथ कन्हैया कुमार की काफी देर तक बातचीत चर्चा का विषय बन गया। कन्हैया की राहुल के साथ जो केमिस्ट्री नजर आई,उससे बिहार की सियासत में नई अटकलों को जन्म दे दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कन्हैया कुमार को मंच से दूर रखना एक रणनीति के तहत लिया गया फैसला था? राहुल गांधी बिहार में क्या कुछ नया करने वाले हैं? बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए कन्हैया कुमार को लेकर यह सवाल अब हर किसी की जुबान पर है। राहुल गांधी की यह यात्रा 16 दिनों तक चलेगी.यात्रा 26 जिलों से होकर गुजरेगी। को कवर करते हुए करीब 1300 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। सासाराम से शुरू होकर यह यात्रा औरंगाबाद, गया, नवादा, नालंदा, मुंगेर, भागलपुर, पूर्णिया, सुपौल, दरभंगा, सीतामढ़ी, चंपारण, गोपालगंज, सीवान, छपरा और आरा जैसे जिलों से गुजरेगी। इसका समापन 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के साथ होगा।
