
बिहार में एक ही पते या फिर एक ही मकान नंबर के पते पर सैकड़ों वोटर्स के नाम दर्ज किये जाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. विपक्ष इसे चुनाव आयोग का बड़ा फर्जीवाड़ा बता रहा है.विपक्ष इसे वोट चोरी का जबरदस्त सबूत बता रहा है. क्या वाकई ये वोट चोरी का सबूत है,या फिर BLO की गलती, विपक्ष का दावा कितना सच.
शुक्रवार को बोधगया के बाराचट्टी विधानसभा के निदानी गांव के बूथ नं. 161 पर एक ही घर के पते पर 947 वोटर के नाम दर्ज हैं.विपक्ष इसे बड़ा गड़बड़झाला बता रहा है.947 वोटर का मकान नंबर 6 कैसे हो गया है, ये गलती किस लेबल पर हुई और इसे अब तक क्यों नहीं सुधारा गया, बूथ लेबल ऑफिसर (BLO) अरुण कुमार का कहना है कि वो अभी इस गांव के BLO बने हैं.उनकी तरफ से कोई गलती नहीं हुई.उनके BLO बनने से पहले से गांव के सभी लोगों का मकान नंबर 6 ही था. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR में मकान नंबर डालने का ऑप्शन नहीं था. इसे सुधारने के लिए कई बार ब्लॉक लेवल की मीटिंग में अफसरों से कहा, लेकिन यह सही नहीं हुआ.‘अधिकारियों को बताया तो बोले- अपना काम करो’.कटिहार में भी ऐसे कई मामले सामने आये हैं.फतेहपुर ब्लॉक के पहाड़पुर गांव के 998 वोटर का मकान नंबर एक ही है..
लेकिन कटिहार के डीएम मनेश कुमार मीणा के अनुसार बिनोदपुर के मकान नंबर 82 में 197 वोटर होने की बात गलत है. वोटर लिस्ट में लिखा मकान नंबर नोशनल हाउस नंबर होता है. ये काल्पनिक नंबर होता है. सही एड्रेस वोटर के एपिक कार्ड पर होता है.’197 वोटर या इस तरह के आंकड़े भ्रम फैलाने के लिए पेश किए जा रहे हैं. बूथ लेवल ऑफिसर सभी वोटर का वेरिफिकेशन करते हैं. डॉक्यूमेंट की जांच के बाद ही उनका नाम लिस्ट में शामिल होता है.
चुनाव आयोग का दावा: जिन घरों के नंबर नहीं, उन्हें नोशनल हाउस नंबर दिए.बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के अनुसार ‘बिहार में किसी घर का मकान नंबर नहीं रहता है.‘वोटर लिस्ट में दर्ज मकान नंबर नोशनल हाउस नंबर हैं. यह नंबर तब दिया जाता है, जब किसी वोटर का मकान नंबर नहीं होता. कई गांवों, झुग्गियों या अस्थायी बस्तियों में घरों पर स्थायी मकान नंबर नहीं होते. ऐसे में BLO वहां जाते हैं और हर घर को खुद से एक नंबर जैसे 1, 2, 3 दे देते हैं. यह नंबर सिर्फ लिस्ट बनाने में सुविधा और मतदाताओं को सही क्रम में दर्ज करने के लिए दिया जाता है.
विपक्ष का कहना है कि ‘निदानी और पहाड़पुर गांव का मामला चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल है. तेजस्वी यादव पहले से चेतावनी देते रहे हैं कि SIR के नाम पर गड़बड़ियां की जा रही हैं. सरकार में शामिल नेताओं के दो-दो एपिक नंबर और अलग-अलग जगह वोटर लिस्ट में नाम होना, इस बड़े खेल का सबूत है. BJP, JDU और NDA को फायदा पहुंचाने के लिए SIR किया गया है.’कांग्रेस का दावा है कि ‘राहुल गांधी ने बिहार में SIR प्रक्रिया की खामियां उजागर की हैं. यह सब BJP को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, ताकि वोट चोरी के जरिए चुनाव जीता जा सके.’