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BLO घर नहीं आए, खुद भरा फॉर्म, एक ही एड्रेस पर मिले 230 मतदाताओं के नाम

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BLO घर नहीं आए, खुद भरा फॉर्म, एक ही एड्रेस पर मिले 230 मतदाताओं के नाम.

क्या BLO ने दफ्तर और घर में बैठकर मतदाताओं की जगह खुद भर लिया फॉर्म ?ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जमुई के आमीन गांव के एक मकान के पते पर 200 लोगों के फॉर्म भरे गये हैं. जमुई के सदर प्रखंड के चौड़ीहा पंचायत के BLO के वोटिंग लिस्ट रिवीजन के काम में ऐसी लापरवाही उजागर हुई है.एक ही मकान संख्या-3 में गांव के 230 लोगों का नाम दर्ज कर दिया गया है. जिनकी मौत 3 से 5 साल पहले हो चुकी थी, उन्हें भी मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया. गांववालों के हिसाब से ऐसे 10 से 15 लोग शामिल हैं.

जाहिर है बीएलओ ने गांव में घूमकर घर-घर सत्यापन करने की जगह गांव के बाहर एक स्थान पर बैठकर ही मतदाता फॉर्म भर दिए और उन्हें सिस्टम में अपलोड करवा दिया.गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक सभी इस गड़बड़ी को लेकर नाराज हैं. उनका कहना है कि यह न सिर्फ लापरवाही है बल्कि लोकतंत्र की मूल प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ है.गांव वालों ने बताया कि हमलोगों का वॉर्ड संख्या- 3 है, लेकिन बीएलओ ने तो इसे मकान संख्या ही बना दिया है. हमारे वार्ड में एक भी मकान में संख्या नहीं लिखी है. हर कोई सिर्फ नाम के जरिए घर जानता है. ऐसे में बीएलओ ने अपनी मर्जी से ही सबका मकान संख्या लिख दिया.

ग्रामीणों का कहना है कि ‘बीएलओ गांव आए तो थे, लेकिन उन्होंने घर-घर जाने के बजाय गांव के बाहर एक जगह बैठकर ही फॉर्म भर दिए. न तो किसी से दस्तखत लिया और न ही कोई पूछताछ की. हमलोगों के बदले उनकी टीम ने ही फॉर्म भर दिया.’मतदाता लिस्ट में मकान संख्या-3 में 200 से ज्यादा नाम जोड़ दिए गए हैं. यह कैसे मुमकिन है कि एक घर में 230 लोग रह रहे हों?’ग्रामीणों के अनुसार एक पेड़ के नीचे बैठकर ‘बीएलओ ने लोगों को बुलाया और वहीं से फॉर्म भरकर भेज दिया.लोगों से उनका पता भी नहीं पूछा.जब इस बारे में उप निर्वाचन पदाधिकारी मो.नजरुल हक ने इतना ही कहा, जो रिपोर्ट मुझसे मांगी गई थी, वह विभाग को भेज दी गई है. संभव है कि पोर्टल पर प्रकाशित भी हो चुकी हो.उनके इस जवाब से ग्रामीणों में नाराजगी और बढ़ गई है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर विभाग आंख मूंद कर रिपोर्ट स्वीकार कर ले तो ऐसी गड़बडिय़ों का क्या हल निकलेगा?

बीएलओ राजीव कुमार चौधरी का कहना है कि ‘यह सब सिस्टम की तकनीकी खराबी के कारण हुआ है.उन्होंने प्रखंड विकास पदाधिकारी अभिनव मिश्रा को इसकी जानकारी दे दी थी. उन्होंने माना कि मृतक मतदाताओं का नाम जोड़ा जाना लापरवाही है, लेकिन खुद को दोषी नहीं मानते.उन्हहोंने कहा कि प्रपत्र-7 के जरिए मृतक मतदाताओं के नाम हटाएंगे. लेकिन मकान संख्या की गड़बड़ी सिस्टम से हुई है.गांव के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराई जाए और मतदाता सूची को घर-घर जाकर फिर से सत्यापित किया जाए. चुनाव आयोग को चाहिए कि ऐसी लापरवाही पर सख्त एक्शन ले और डिजिटल सिस्टम की खामियों को दुरुस्त करे.

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