
बिहार में इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चुनाव आयोग ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है और इसी कड़ी में 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी गई है। इस सूची में सुधार के लिए मतदाताओं के पास 1 सितंबर तक का समय है। इस बीच, राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। पूर्व मंत्री और राजद नेता तेज प्रताप यादव ने चुनाव से पहले पाँच पार्टियों के एक नए गठबंधन की घोषणा कर दी है।
तेज प्रताप यादव के इस नए गठबंधन में विकासशील वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) शामिल हैं। इस घोषणा के साथ ही तेज प्रताप ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव महुआ सीट से लड़ेंगे। उनका यह कदम बिहार की चुनावी रणनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
वहीं दूसरी ओर, कुछ विपक्षी दल मतदाता सूची के पुनरीक्षण (वोटर लिस्ट रिवीजन) का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक किसी भी पार्टी ने चुनाव आयोग के समक्ष अपने आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नियमों के अनुसार ही काम कर रहा है और सभी पार्टियों को अपनी आपत्तियों को सबूत के साथ दर्ज कराने का मौका दिया गया है।
बिहार में चुनाव का माहौल गरमाता जा रहा है और राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरणों को साधने में लगे हैं। चुनाव आयोग की तैयारियों और राजनीतिक गठबंधनों की घोषणाओं ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
