
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा तो नहीं मिला, लेकिन वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के नाम पर लाखों लोगों के नाम काट दिए गए हैं।
चुनाव आयोग पर दुरुपयोग का आरोप
तेजस्वी यादव ने कहा कि वे मतदाता सूची पुनरीक्षण का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के नाम काट दिए गए हैं, लेकिन उन्हें यह बताने वाला कोई नहीं है कि उनका नाम क्यों काटा गया। उन्होंने चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह को भी नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। तेजस्वी ने कहा, “चुनाव आयोग कह रहा है कि वह एक संवैधानिक संगठन है, लेकिन वह इसका दुरुपयोग कर रहा है।”
उन्होंने कहा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है और वे मजबूती से अपनी बात रखेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि आयोग सुप्रीम कोर्ट की बात भी नहीं मान रहा है।
17 अगस्त से ‘वोट अधिकार यात्रा’
इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने बड़े आंदोलन का ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि 17 अगस्त से ‘वोट अधिकार यात्रा’ शुरू की जाएगी, जिसमें वे सड़कों पर उतरकर लोगों के बीच जाएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य लोगों को मतदाता सूची से नाम काटे जाने के बारे में जागरूक करना है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस यात्रा में वे अपराध, भ्रष्टाचार और बिहार की मौजूदा स्थिति के बारे में भी सीधे लोगों से बात करेंगे। तेजस्वी ने बताया कि इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ-साथ ‘इंडिया’ गठबंधन के कई बड़े नेता भी शामिल होंगे।
उपमुख्यमंत्री के नाम पर भी उठाए सवाल
तेजस्वी ने उपमुख्यमंत्री के नाम का दो-दो जगह वोटर लिस्ट में होने का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का खुलासा किया, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया गया। तेजस्वी ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जब यह स्थिति है तो चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजमी है।