
प्रशांत किशोर कहते हैं अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा? बिहार की राजनीति पर मुट्ठी भर परिवारों का कब्ज़ा है.इसे ख़त्म करना है.आखिरर प्रशांत किशोर क्यों कहते हैं?दरअसल, ‘पिछले 30 सालों से बिहार की राजनीति सिर्फ 1,200 से 1,250 परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. विधायक और सांसद बार-बार इन्हीं परिवारों के लोग बनते रहे हैं. ये सभी परिवार बीजेपी , JDU, राजद और कांग्रेस से जुड़े हैं.’क्या है बिहार की फैमिली politics इसको समझाने के लिए बात करेगें सिटी पोस्ट के संपादक श्रीकांत प्रत्यूष से.
‘पिछले 30 सालों से बिहार की राजनीति सिर्फ 1,200 से 1,250 परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. विधायक और सांसद बार-बार इन्हीं परिवारों के लोग बनते रहे हैं. विधानसभा चुनाव है. इसमें 16 से ज्यादा नेता ऐसे हैं, जो अपने बेटे-बेटियों को पहली बार चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रहे हैं.बीजेपी और कांग्रेस के सीनियर नेता बेटे–बेटियों को टिकट दिलाने के लिए दिल्ली में फील्डिंग सेट कर रहे हैं.
JDU नेता आनंद मोहन अपने छोटे बेटे अंशुमान को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. वह खुद सांसद रहे हैं. पत्नी लवली आनंद शिवहर से सांसद हैं. 2020 में बड़े बेटा चेतन आनंद शिवहर से RJD के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 2024 में फ्लोर टेस्ट से पहले JDU में चले गए.अंशुमान अपने पिता आनंद मोहन के साथ 2024 लोकसभा चुनाव के पहले JDU में शामिल हुए थे. उनके चुनाव लड़ने की भी चर्चा है.पप्पू यादव के बेटे सार्थक रंजन चुनाव लड़ सकते हैं. वे क्रिकेटर हैं. 24 मार्च 2024 को जब पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए थे तब सार्थक भी उनके साथ थे. फिलहाल पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय सांसद हैं और उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के बेटे अभिमन्यु अपने संगठन ‘टीम अभिमन्यु’ के नाम से एक्टिव हैं. अभिमन्यु का कार्य क्षेत्र फतुहा है. रामकृपाल अपने बेटे के लिए टिकट चाहते हैं. फतुहा से RJD के रामानंद यादव विधायक हैं. पिछली बार यहां BJP के सत्येन्द्र सिंह चुनाव लड़े थे.डॉ. मदन मोहन झा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. अभी विधान परिषद के सदस्य हैं. उनकी कांग्रेस में अच्छी पैठ हैं.झा के बेटे माधव झा दरभंगा और मधुबनी में पॉलिटिकली एक्टिव हैं. यहां की किसी सीट से मदन मोहन झा बेटे के लिए टिकट चाहते हैं.लालू यादव के खास जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह फिलहाल बक्सर से RJD के सांसद हैं. उनके दूसरे बेटे अजीत के चुनाव लड़ने की चर्चा है. भाई के खाली की गई रामगढ़ सीट से अजीत उपचुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे. 2025 विधानसभा चुनाव में भी अजीत के रामगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा है.
बाहुबली शहाबुद्दीन का निधन कोरोना काल में हो गया थे. सालों तक RJD का मुस्लिम चेहरा रहे. उनकी पत्नी हिना शहाब 3 बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन हार गईं थी. पिछले लोकसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ीं और इस वजह से RJD तीसरे नंबर पर चली गई.हिना शहाब दूसरे नंबर पर रहीं. लोकसभा चुनाव के बाद शहाबुद्दीन के बेटे और पत्नी दोनों RJD में शामिल हो गए. इस बार ओसामा रघुनाथपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.हाल में रघुनाथपुर के RJD विधायक ने ओसामा को पगड़ी बांधकर टिकट की संभावनाओं को बल दिया.
अश्विनी कुमार चौबे केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं. बीजेपी के बड़े नेता हैं। इनके पुत्र अर्जित शाश्वत ने काफी कोशिश की थी, पर लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला. 2018 में भागलपुर में हुई सांप्रदायिक घटना में अर्जित का नाम आया था.हाल में 6 जुलाई को पटना के गांधी मैदान में सनातन महाकुंभ का आयोजन अश्विनी चौबे ने करवाया था, इसमें अर्जित शाश्वत भी काफी एक्टिव थे. अर्जित का कार्यक्षेत्र भागलपुर रहा है. टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. कुम्हरार से बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा भी अपने बेटे आशीष सिन्हा के लिए टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. आशीष छात्र राजनीति में एक्टिव रहे हैं. शाहाबाद एरिया से चुनाव लड़ सकते हैं सोनू सिंह.नंद किशोर यादव पटना साहिब से विधायक और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष हैं. बिहार में बीजेपी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. उनके बेटे नीतिन कुमार उर्फ टिंकू राजनीति में एक्टिव हैं.बीजेपी व्यवसायी मंच के सह संयोजक हैं. चर्चा है कि नंद किशोर यादव इस बार खुद चुनाव नहीं लड़कर, बेटे को लड़वाना चाहते हैं.
वशिष्ठ नारायण सिंह JDU के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. वे अभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनके बेटे सोनू सिंह राजनीति में एक्टिव हैं. वे इस बार शाहाबाद की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.JDU के सीनियर लीडर हरिनारायण सिंह बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. उनकी उम्र काफी हो गई है. उनके बेटे अनिल कुमार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं.हरिनारायण सिंह ने सार्वजनिक मंच से घोषणा कर दी है कि वे आगे चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनकी इस घोषणा के बाद चर्चा तेज हो गई कि इस सीट से नीतीश कुमार के पुत्र या हरिनारायण सिंह के पुत्र चुनाव लड़ सकते हैं. अनिल कुमार राजनीति में भी एक्टिव रहे हैं. बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह अपने बेटे आनंद रमन को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं. वह भोजपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. आनंद बीजेपी के युवा मोर्चा से जुड़े रहे हैं. राजनीति में काफी समय से एक्टिव हैं.BJP के सीनियर लीडर आरके सिन्हा की पैठ पार्टी में बहुत गहरी हैं. उनके बेटे ऋतुराज पटना साहिब से लोकसभा का टिकट चाहते थे, लेकिन नहीं मिला. अब चर्चा है कि पटना की किसी सीट से वे चुनाव लड़ सकते हैं.पूर्व सांसद लालमुनि चौबे के बेटे हेमंत चौबे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज का दामन थामा है. वे कैमूर के चैनपुर विधानसभा में एक्टिव हैं.
अशोक राम JDU में चले गए हैं. वह बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं. कांग्रेस के दलित चेहरा थे, लेकिन इस बार इनको किनारे कर राजेश राम को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. तब से वह नाराज बताए जा रहे थे.अशोक राम अपने बेटे अतिरेक को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. उनका प्रभाव वाला क्षेत्र समस्तीपुर और आसपास का इलाका है.कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह इस बार विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. आकाश को 2024 लोकसभा चुनाव में महाराजगंज से टिकट दिया गया था, लेकिन वह चुनाव हार गए थे.चर्चा है कि एक बार फिर अखिलेश सिंह बेटे को चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रहे हैं. अखिलेश सिंह अभी कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं.
‘कैडर बेस्ड भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टियों को छोड़ दें तो कार्यकर्ताओं का टोटा कमोबेश हर दल में है. कार्यकर्ता इसलिए तैयार नहीं हो रहे कि उन्हें मनमुताबिक लाभ नहीं हो रहा. पार्टी का प्रचार जीवन भर कार्यकर्ता करते हैं, लेकिन पार्टी उन्हें क्या देती है? अब पैसा पर भीड़ जुटाने की होड़ है. आम लोगों के पास पैसा और संसाधन की कमी है.’राजनीति में परिवारवाद के लिए वोटर जिम्मेवार हैं. लोग ही इन्हें चुनकर भेजते हैं. वोटर के विशेषाधिकार पर सवाल नहीं हो सकता. अगर कोई पार्टी विधान परिषद या राज्यसभा भेजती है तो गलत है, लेकिन जनता उसे जिताती है तो गलत नहीं है.
