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बिहार चुनाव में राहुल गांधी को पीएम बनाने की घोषणा के पीछे क्या है तेजस्वी यादव की रणनीति?

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बिहार चुनाव में राहुल गांधी को पीएम बनाने की घोषणा के पीछे क्या है तेजस्वी यादव की रणनीति?

बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच तेजस्वी यादव ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में राहुल गांधी को 2029 का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर सियासी हलचल मचा दी. नवादा में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान तेजस्वी यादव ने बड़ा ऐलान किया कि 2025 में महागठबंधन की सरकार बनेगी और 2029 में राहुल गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया जाएगा. विधान सभा चुनाव में राहुल गांधी को पीएम बनाने के ऐलान के पीछे तेजस्वी यादव की क्या रणनीति है, खुलासा करने के लिए मेरे साथ हैं सिटी पोस्ट के chief एडिटर श्रीकांत प्रत्यूष

बिहार में महागठबंधन के भीतर नेतृत्व का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है. तेजस्वी यादव को भले ही आरजेडी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखते हों, लेकिन कांग्रेस ने इस पर कभी खुलकर समर्थन नहीं जताया. कांग्रेस ने अब तक बिहार में सीएम के मुद्दे पर चुपके रणनीतिक चुप्पी साथ रखी है. मीडिया के तमाम सवालों के बावजूद कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी यादव के नाम पर कभी खुले तौर पर नहीं कहा कि वह (तेजस्वी यादव) महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार हैं. इसके समानांतर ही कांग्रेस ने बिहार में रणनीतिक दृष्टि से कई दांव भी चला है. चाहे वह रोजगार मेला लगाना हो, माई बहन योजना की तर्ज पर कांग्रेस की अलग घोषणा हो, कांग्रेस का दलित सम्मेलन हो. इसके उलट बिहार में कांग्रेस अपना अलग दांव लगाती दिख रही है. कवायद कांग्रेस को बिहार में फिर से खड़ा करने की बताई जा रही है.ऐसे में तेजस्वी यादव राहुल गांधी को भरोसे में लेना चाहते हैं.

तेजस्वी यादव राहुल गांधी को सब्जबाग दिखा रहे हैं. ये तेजस्वी यादव का रणनीतिक दांव हैं. बीजेपी नेता संजय जायसवाल के अनुसार यह वही बात है कि आप मेरी पीठ खुजाओ और मैं आपकी पीठ खुजाऊंगा.” बात बिहार चुनाव की है, लेकिन तेजस्वी यादव राहुल गांधी को लेकर इस तरह का ऐलान क्यों कर रहे हैं? बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने तेजस्वी और राहुल पर “झूठ का कॉम्पिटिशन” चलने का आरोप लगाया है. लेकिन मेरा मानना है कि तेजस्वी का राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार घोषित करना एक रणनीतिक कदम है, जिसका मकसद कांग्रेस को गठबंधन में मजबूती से बांधे रखना और सीट बंटवारे में अपनी स्थिति मजबूत करना है.कांग्रेस बिहार में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी है. राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और अब ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है. इसके अलावा, कांग्रेस ने रोजगार मेला, दलित सम्मेलन और ‘माई बहन योजना’ की तर्ज पर अपनी योजनाएं लाकर स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश की है. यह दिखाता है कि कांग्रेस बिहार में महागठबंधन के सहयोगी की भूमिका से आगे बढ़कर नेतृत्व की दावेदारी करना चाहती है. ऐसे में तेजस्वी का बयान कांग्रेस को यह भरोसा दिलाने की कोशिश है कि आरजेडी उनके राष्ट्रीय नेतृत्व का समर्थन कर रही है.

महागठबंधन में सीएम चेहरा और सीट बंटवारे पर सहमति की कमी साफ दिख रही है. तेजस्वी यादव के इस दांव को महागठबंधन की एकजुटता और सीट बंटवारे में आरजेडी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश मान रहे हैं.‘वोटर अधिकार यात्रा’ बिहार में महागठबंधन की एकजुटता का प्रतीक बन रही है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मिलकर वोट चोरी और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं. यह यात्रा 25 जिलों से होकर गुजरेगी और 1 सितंबर को पटना में समापन होगा. इस दौरान मुस्लिम-यादव के साथ-साथ ओबीसी-ईबीसी वोटरों को साधने की कोशिश हो रही है. तेजस्वी का बयान इस यात्रा को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाने और कांग्रेस के साथ गठबंधन को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है.

तेजस्वी का यह ऐलान महागठबंधन में नेतृत्व और सीट बंटवारे की चुनौतियों को संतुलित करने की कोशिश है. कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता से आरजेडी को खतरा है कि सीट बंटवारे में उसे कम सीटें मिल सकती हैं. ऐसे में राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित कर तेजस्वी ने गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करने और कांग्रेस को संदेश देने की कोशिश की है कि आरजेडी उनके राष्ट्रीय एजेंडे का समर्थन कर रही है. ऐसे में संभावना है कि तेजस्वी यादव का यह दांव बिहार चुनाव के साथ राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है.

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