
पटना के अशोक राजपथ पर बना :बिहार का पहला डबल डेकर फ्लाईओवर का 1 फीट हिस्सा 3 से 4 इंच तक धंस गया है. ये CM नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसे 422 करोड़ की लागत से बनाया गया है. उद्घाटन के 53 दिन बाद ही फ्लाईओवर का एक हिस्सा बैठ गया है. पटना में पिछले तीन चार दिनों से लगातार हुई बारिश के बाद इस पुल का एक हिस्सा बैठ गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जल्दबाजी में इस पुल का उद्घाटन कर दिया गया.डबल डेकर पुल बनने से पहले पटना के अशोक राजपथ के इस इलाके में हैवी ट्रैफिक रहता था. हर समय जाम की समस्या रहती थी. पटना यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में जाने वाले छात्र, PMCH के मरीज, पटना मार्केट में खरीदारी करने के लिए आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. इस रोड की हालत ऐसी थी कि जो लोग इस रोड से अपने ऑफिस के लिए जाते थे, उन्हें या तो समय से काफी पहले निकलना होता था, या फिर देर से ऑफिस पहुंचने की नौबत आ जाती थी.
अशोक राजपथ पर कारगिल चौक से डबल डेकर पुल पर चढ़कर जब आप पांच सौ मीटर तक ऊपर पहुंचेंगे तो पुल का वो हिस्सा दिखेगा जो तीन से चार इंच तक धंस गया था. मामला सुर्खियों में आने के बाद विभाग ने तत्काल संज्ञान में लेते हुए इसकी रिपेयरिंग करवा दी. करीब दस बाई दस का एरिया आरसीसी से रिपेयर किया गया है. फिलहाल अभी उस हिस्से पर आने-जाने की इजाजत नहीं है. दोनों तरफ बैरियर लगा हुआ है. लोगों का आरोप है कि ‘सरकार ने इस प्रोजेक्ट को जल्दबाजी में तैयार करवाया है. जल्दबाजी में किए गए काम में गलतियां होती है और इस फ्लाईओवर में भी गलतियां की गई है.
लोगों का कहना है कि पुल के चालू होने के 53 दिनों में ही दरारें दिख रही है.पुल कभी भी गिर सकता है.लोग सवाल कर रहे हैं कि किसी की जान चली जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. बिहार में हर जगह यही हाल है. कई जगह पुल गिरे हैं.’डबल डेकर प्रोजेक्ट के इंजीनियर ने बताया कि ‘डबल डेकर फ्लाईओवर के उस एरिया में बिटुमिनस (अलकतरा) का काम चल रहा था तो मशीन में LDO (लाइट डीजल ऑयल) था. उसका टैंक फट गया था. LDO (लाइट डीजल ऑयल) के नीचे गिरने से बिटुमिनस (अलकतरा) नीचे चला गया था. इसे साफ किया गया था. लेकिन, लगातार बारिश की वजह से यह रिएक्ट कर गया. मैस्टिक एस्फाल्ट लेयर और बिटुमिनस के बीच बांड नहीं बन पाया. इसकी वजह से हल्की दरारें दिख रही है.मतलब साफ है कि निर्माण के दौरान हुई गड़बड़ियों को नजरअंदाज किया गया. इसकी वजह से पुल का कुछ हिस्सा धंस गया.
दरअसल, LDO को पुल निर्माण में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह जल्दी उड़ता नहीं है. बिटुमिनस के ऊपर मैस्टिक एस्फाल्ट लेयर बिछाए जाते हैं. इसके लिए बिटुमिनस को ऑन साइट 250 डिग्री टेंपरेचर पर हिट किया जाता है.हालांकि, इंजीनियर ने यह भी बताया कि ‘इससे पुल को कोई नुकसान नहीं है. स्ट्रक्चर में कोई फॉल्ट नहीं है. सभी मानकों को देखकर इसे बनाया गया है.पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया, ‘इसमें किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए. पुल में बिटुमिनस के अपर लेयर पर जब ट्रैफिक का दबाव पड़ता है, तो वह छूटने लगती हैं. डबल डेकर के सब स्ट्रक्चर और सुपरस्ट्रक्चर पर कोई खतरा नहीं है.’
डबल डेकर फ्लाईओवर का निर्माण घनी आबादी के बीच कराया गया है. इस फ्लाईओवर पर चढ़ने के बाद यू टर्न लेने का कोई ऑप्शन नहीं है. यानी एक बार इस पुल पर चढ़े तो फिर दूसरे छोड़ पर ही उतरना होगा.डबल डेकर एलिवेटेड रोड का मतलब एक ब्रिज पर दो फ्लोर होता है. यह दो फ्लाईओवर का कॉम्बिनेशन है- एक ऊपरी स्तर पर और दूसरा निचले स्तर पर है. यह दो लेन के साथ दोनों फ्लोर पर यातायात की अनुमति देता है. ट्रैफिक की भीड़ से बचने और वाहनों के सुचारू रूप से चलने के लिए इसे तैयार किया जाता है.