
कल महागठबंधन की बैठक हुई और आज कॉन्फ्रेंस . नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार मतदाता पुनरीक्षण (SIR) को लेकर चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोला. तेजस्वी ने कहा कि EC का दावा कि 80% फॉर्म जमा हो गए, चुनाव आयोग का दावा झूठा है. उन्होंने वीडियो में फॉर्म सड़कों पर फेंके जाने और जलेबी बेचने के लिए इस्तेमाल की घटनाएं दिखाईं. उन्होंने इसे BJP के इशारे पर गरीबों के वोट काटने की साजिश करार दिया जिसमें तकनीकी खामियां और गैर-पारदर्शिता साफ है.
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग ने 12 जुलाई को प्रेसनोट जारी कर 80% फॉर्म जमा होने का दावा किया, लेकिन उनके क्षेत्रों में फॉर्म जमा नहीं हुए. वीडियो में फॉर्म सड़कों पर पड़े और जलेबी बिक्री में उपयोग की तस्वीरें पेश करते हुए उन्होंने गैर-पारदर्शी बताया. उन्होंने कहा, यह SIR प्रक्रिया आई-वॉश है, जहां सर्वर डाउन, OTP समस्याएं और तकनीकी शिकायतों की अनदेखी हो रही है. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि BLO और वोटर्स कन्फ्यूज हैं, क्योंकि दस्तावेज बाद में जमा करने की बात कही गई, लेकिन कोई SOP जारी नहीं हुआ. तकनीकी खामियों और गैर-पारदर्शिता से EC की विश्वसनीयता खत्म हो रही है.
तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी कि 1% वोटर्स के सत्यापन में चूक से 7.9 लाख वोट और प्रति विधानसभा 3251 वोट, प्रति बूथ 3200 वोट कट सकते हैं. यह प्रवासी वोटर्स को निशाना बनाकर 52 सीटों के नतीजों को प्रभावित कर सकता है जैसा पिछली बार 5000 वोट से हारीं थीं. तेजस्वी यादव ने EC से जिला-वार डेटा लाइव करने की मांग की और इसे मोदी-अमित शाह की साजिश बताया. उन्होंने कहा कि यह बिहार है, गुजरात नहीं, अब आर-पार होगा.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने EC को चुनौती दी कि 80% फॉर्म जमा और अपलोड का सबूत पेश करे. उन्होंने कहा, “BLO मतदाताओं के दरवाजे पर नहीं दिख रहे और फॉर्म सड़कों पर फेंके मिल रहे हैं. मुकेश सहनी ने इसे ‘वोटबंदी’ करार देते हुए नोटबंदी से तुलना की और कहा, EC का दायित्व वोटर्स की मदद करना है न कि इशारों पर काम करना. उन्होंने नीतीश, चिराग, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा से हस्तक्षेप की अपील की और खुद फॉर्म जमा कर हकीकत जांचने का दावा किया.