
आजकल के समय में शहर के किराए में रहना आम बात हो गया है। लेकिन अगर बिना नोटिस के अचानक किराए बढ़ता हैं तो किराएदार को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप किराएदार के मकान में रहते हैं तो उससे जुड़े नियम कानून जानने का आपको पूरा अधिकार है। साथ ही जानेंगे कि क्या मकान मालिक कभी भी घर से निकाल सकता है? और विवादों से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
एक्सपर्ट के मुताबिक, किराएदार के पास मकान मालिक से बचने के लिए कई सारें कानूनी उपाय हैं। वहीं, भारत में किराएदारों को कई कानूनी अधिकार दिए गए हैं, जो उन्हें मकान मालिक की जबरदस्ती या गलत व्यवहार से बचाते हैं। किराएदारों को लिखित किराएनामा मांगने का अधिकार है। उसे बिना नोटिस के मकान मालिक नहीं निकाल सकता है। अगर जबरदस्ती निकाला जाए तो किराएदार कोर्ट में केस कर सकता है। अगर मकान की मरम्मत सही से न हो तो किराएदार खुद मरम्मत करवा सकता है और खर्च सिक्योरिटी या किराये से समायोजित कर सकता है। इसके अलावा मकान मालिक किराएदार की इजाजत के बिना घर में नहीं घुस सकता है। ये उसकी निजता का अधिकार है। उसके बाद कोई भी हाउसिंग सोसाइटी या मकान मालिक बिना पहले से सूचना दिए किराएदार को अचानक घर खाली नहीं करा सकती है, अगर किराया एग्रीमेंट में नोटिस पीरियड लिखा है। ये नियम दो कानूनों के तहत आते हैं।
1) रेंट कंट्रोल एक्ट, 1948 कहता है कि मकान मालिक बिना सही शो कॉज नोटिस दिए किराएदार को नहीं निकाल सकते हैं। अगर विवाद हो तो उसका समाधान कोर्ट के जरिए ही होगा।
2) मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021 कहता है, किराये से जुड़ी समस्याओं, जैसे किराया न मिलना, जबरन बेदखली, बिना एग्रीमेंट किराएदारी जैसे मामलों को सुलझाना है। यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है, लेकिन इसे लागू करना राज्यों पर निर्भर करता है। अभी बहुत सारे राज्यों ने इसे पूरी तरह लागू नहीं किया है।
हालांकि, अगर किराएदार चाहें तो किराए के घर में छोटा-मोटा(पर्दे लगाना, दीवारों पर पेंट करना या छोटे फिक्सचर (जैसे बल्ब, हैंगर, छोटा शेल्फ) बदलाव कर सकता है, लेकिन बड़े बदलाव के लिए उसे मकान मालिक की लिखित अनुमति लेनी होगी। वहीं, मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021 के अनुसार, मकान मालिक को कई अधिकार मिले हैं, ताकि वह अपनी संपत्ति को सुरक्षित और कानूनी रूप से किराये पर दे सके। जिसमें समय पर किराया प्राप्त करने का अधिकार, किराए बढ़ाने पर 1 से 3 महीने पहले सूचना देना और फिर सूचित करके मकान निरीक्षण करने का भी अधिकार है। भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के तहत अगर किराएदार 12 महीने या उससे अधिक रहना है तो उसे रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा।