
भाकपा माले (CPIML Liberation) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बिहार में “वोट बंदी” कर रहा है, जिसके खिलाफ अब राज्यव्यापी आंदोलन होगा। भट्टाचार्य ने कहा कि यह आंदोलन पूरे बिहार से लेकर प्रखंड और अनुमंडल कार्यालयों तक और जोर-शोर से चलेगा।
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग से सवाल किया, “आखिर उसके हाथ धर्मिता की वजह क्या है?” उन्होंने पूछा कि क्या चुनाव आयोग इस पूरे मामले को चुनाव के बाद नहीं कर सकता था, और अभी “एक महीने के अंदर में किस आधार पर यह करने के लिए तुले हुए हैं?” माले महासचिव ने दावा किया कि इस कदम के पीछे NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) का पूरा मामला है और लोगों को यह बात समझ में आ रही है।
भट्टाचार्य ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जाने की बात की जा रही है और लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि वे आवश्यक कागजात कहां से लाकर देंगे। उन्होंने इसे “वोट बंदी” बताते हुए कहा कि इसका सीधा मतलब है कि चुनाव आयोग लोगों को वोट डालने से रोकना चाहता है।
नीतीश सरकार के रोजगार प्रस्ताव पर भी साधा निशाना:
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आज कैबिनेट में एक करोड़ लोगों को रोजगार/नौकरी देने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि यह “बहुत अच्छी बात है।” हालांकि, इसके तुरंत बाद उन्होंने पिछली सरकारों के रोजगार रिकॉर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा, “नीतीश कुमार जी ने तो 20 साल में इतना बड़ा नौकरी दिया कि 94 लाख लोग ₹6000 से कम कमाते हैं, यह तो सरकार के सर्वे में आया।” उन्होंने कहा कि इसी से समझा जा सकता है कि नीतीश कुमार ने 20 साल में कितना रोजगार दिया।
भट्टाचार्य के इन बयानों से स्पष्ट है कि भाकपा माले मतदाता सूची के मुद्दे को लेकर बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है और इसे आगामी चुनावों से जोड़कर देख रहा है। साथ ही, वे रोजगार के मुद्दे पर भी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।

