
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन ने आपसी तालमेल बनाए रखने के लिए भले कोऑर्डिनेशन कमिटी का गठन कर लिया है.लेकिन महागठबंधन में शामिल सभी राजनीतिक दल अपने-अपने रास्ते पर चल रहे हैं.काँग्रेस पार्टी सुपर एक्शन मे है तो आरजेडी और वां दल शांत बैठे हैं। लेकिन ऊपर से दिखनेवाली इस शांति के बीच भयंकर तूफान नजर या रहा है. विधानसभा चुनाव में सीटों के बटवारे को लेकर घमाशान जारी है। बड़े दल आखिरी समय मे सबकुछ ते करना चाहते हैं लेकिन सहयोगी दल अभी सबकुछ फाइनल कर लेना चाहते हैं। कांग्रेस और वीआईपी पहले ही अपनी सीटों की मांग रख चुके हैं। कांग्रेस ने कम से कम 70 और वीआईपी ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की है। भाकपा माले ने हर जिले में अपना उम्मीदवार खड़ा करने का मन बना लिया है. अब ऐसे में महागठबंधन के सामने सीटों के तालमेल को लेकर बड़ी चुनौती सामने आ गई है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाकपा माले ने 12 सीटों पर जीत हासिल कर शानदार स्ट्राइक रेट बनाया था. अब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाकपा माले खुद को लगातार मजबूत करने में लगी है. पार्टी ने नए विधानसभा क्षेत्रों में भी अपना वजूद तलाशना शुरू कर दिया है. भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल के अनुसार, पार्टी हर जिले में कम से कम एक उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है । सीटों की संख्या न केवल 38 होगी बल्कि इसके ऊपर भी जा सकती है. पार्टी नेताओं के मुताबिक, अगले 12 जून को पटना में महागठबंधन की बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा होगी जिस पर अंतिम फैसला होना तय है.
भाकपा माले , वीआईपी पार्टी की यह मांग महागठबंधन के लिए संकट
