
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने तैयारी कर रहा है.13 जिलों में वेबकास्टिंग के साथ ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का प्रथम स्तरीय जांच शुरू हो गई है.इस काम में 200 से अधिक इंजीनियरों और दर्जनों अधिकारियों लगाया गया है. जांच का काम सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया जा रहा है. ईवीएम मशीनों की प्रथम स्तरीय जांच एक ऐसी जटिल प्रक्रिया है .प्रथम स्तरीय जांच में सभी पुराने सभी रिकॉर्ड को मिटाया जाता है. ईवीएम पर लगे स्लिप को हटाया जाता है, बैलेट पेपर जिस पर नाम पता और चुनाव चिह्न अंकित रहता है उसको हटाया जाता है. साथ ही ग्रीन स्टिकर और टैग को भी हटा दिया जाता है.
अगर किसी चुनाव परिणाम में कोर्ट केस किया गया है, उसके पहले आयोग की ओर से अपील करके यह निर्धारित करा लिया जाता है कि इवीएम को लेकर कोई केस नहीं है. इसके साथ ही प्री-एफएलसी किया जाता है जिसमें ईवीएम मशीन के अंदर के सभी सर्किट, बैट्री सहित उसके फंक्शन की जांच की जाती है.इसके अलावा वीवीपैट के अंदर के सभी पुराने स्लिप को हटा कर डमी पेपर डाल दिया जाता है. इन सभी प्रक्रियाओं को करने के बाद अंतिम जांच की प्रक्रिया शुरू होती है.
ईवीएम जांच के बाद पांच प्रतिशत ईवीएम को राजनीतिक दलों की उपस्थिति में जांच की जाती है. कुल जिले की मशीनों में से पांच प्रतिशत मशीनों को रैंडम तरीके से अलग करके उसमें वोटिंग करके जांच की जाती है. जिससे यह पता चल सके की मशीन फूलप्रूव हो चुकी है.इसके लिए पांच प्रतिशत मशीनों में से एक प्रतिशत ईवीएम में 1200 वोट डालकर जांच किया जाता है, जबकि शेष चार प्रतिशत ईवीएम में दो प्रतिशत ईवीएम में 1000 वोट और दो प्रतिशत में 500 वोट का मतदान कर जांच किया जाता है. एक कंट्रोल यूनिट में चार बैलेट यूनिट को जोड़कर मतदान किया जाता है. यह प्रक्रिया राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पूरी की जाती है