पासवान समुदाय और युवाओं में उनकी लोकप्रियता उन्हें बिहार में एक मजबूत दावेदार के तौर पर उभार रही है

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की सियासी चाल को लेकर सियासत में बवाल मचा हुआ है.वो पिता की तरह केंद्र की राजेति करना चाहते हैं या फिर बिहार का सीएम बनना चाहते हैं? उनकी किस्मत में बिहार का मुख्यमंत्री बनना है या फिर पिता की तरह ही केंद्र की राजनीति करना है? चिराग का ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा और विधानसभा चुनाव-2025 में 40 सीटों की मांग उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाती है. 2024 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत ने उनके कद को और मजबूत किया है. पासवान समुदाय और युवाओं में उनकी लोकप्रियता उन्हें बिहार में एक मजबूत दावेदार के तौर पर उभार रही है.
चिराग का 2020 में जेडीयू के खिलाफ बगावत और 2024 में बीजेपी के साथ गठजोड़ रणनीतिक चतुराई का सबूत है? चिराग चतुर हैं, लेकिन बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी के साथ सीट बंटवारे की जटिलता उनकी सबसे बड़ी चुनौती है. उनके हालिया बयान गठबंधन में सौदेबाजी का हिस्सा प्रतीत होते हैं. चिराग की उम्र और ऊर्जा उन्हें लंबी रेस का घोड़ा बनाती है, लेकिन उनकी किस्मत इस बात पर निर्भर करेगी कि वह गठबंधन की राजनीति में कितनी कुशलता से ‘मौसम’ भांपते हैं.अब मोदी सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले के बाद एक बार फिर से उनका बिहार प्रेम जागा है. चिराग पासवान ने कहा कि पीएम मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है कि अब पूरे देश में जाति जनगणना होने जा रही है. ‘उनका राजनीति में आना बिहार और बिहारी ही एकमात्र कारण है. मेरे पिता की केंद्र की राजनीति में रुचि थी, लेकिन मेरी सोच उनसे अलग है.
चिराग ने कहा “मैं बिहार में रहकर यहां के विकास के लिए काम करना चाहता हूं.’चिराग पासवान के बयान को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वो चाहते तो साल 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव भी लड़कर बिहार प्रेम दिखा सकते थे. दरअसल, चिराग का बार-बार बिहार प्रेम जाहिर करना उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है. चिराग अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को बिहार में एक मजबूत क्षेत्रीय ताकत के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. खासकर पासवान समुदाय और युवाओं में पैठ बनाना चाह रहे हैं. बिहार प्रेम के जरिए वह एनडीए के भीतर अपनी प्रासंगिकता को बढ़ाना चाहते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल की, जिससे उनका कद बढ़ा है. अब वह विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं. जबकि, बीजेपी और जेडीयू उन्हें 20 से ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है.