दिल्ली :राष्ट्रीय आम जनशक्ति पार्टी नेता सह राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश कुमार ने अपने एक बयान में कहा कि भाई जानबूझकर गरीब और बेरोजगार पैदा किया जाता हैँ इसका स्थायी समाधान सरकार के पास हैँ पर Lack of Thaught के कारण भारत सहित पूरी दुनिया परेशान हैँ |
एक समय था जब सुसज्जित और सुगठित व्यवस्था नहीं थी उस समय राजा हुआ करते थे जो अपने राज्य को चलाने के लिए प्रजा से अन्न का हिस्सा लेते थे इतना ही नहीं भारी भरकम टैक्स भी लगाते थे क्योंकि उस समय न RBI था न बैंक था पैसों का प्रचलन भी न के बराबर था जीवन वस्तु विनमय प्रणाली से चलता था सामान के बदले दूसरा सामान की अदला बदली से लोग काम चलाते थे
जिससे बड़ी कठिनाई होती थी जीवन को सुगम बनाने के लिए पैसों का प्रचलन हुआ और उसके बाद इसके रखने और चलाने और देख रेख के लिए नियमानुकूल RBI और बैंकिंग व्यवस्था शुरू हुआ |जिसका फायदा व्यापक तौर पर आम लोगों के साथ सरकार को भी हुआ जहाँ पहले लोग अनाज सहित अन्य खाने पीने और जरूरत की चीजों का स्टॉक घर पर या घर में रखते थे अब वह स्टॉक बड़े बड़े भण्डारो का रूप ले लिया
अब लोग अपने अनाज अन्य जरूरत की चीज को बेचकर पैसा बैंक में रखने लगे और जरूरत के हिसाब से उस पैसा का इस्तेमाल करने लगे इससे लोगों को बड़ी ख़ुशी और फायदा यह हुआ कि अपने उपजाए अनाजो के भण्डारण और सड़ने गलने की चिंता से मुक्ति मिल गई पर लोगों के सिर पर पैसों का नशा सिर चढ़कर बोलने लगा आज हर आदमी पैसों के लिए पागल हैँ पर पैसा अपने आप में कुछ नहीं हैँ पैसा सिर्फ विनिमय शक्ति प्रदान करता हैँ मतलब हमें अपनी जरूरत की चीजें आसानी से पैसा देकर प्राप्त हो जाता हैँ पैसा न खाने की चीज हैँ न पहनने की चीज हैँ न पीने की चीज हैँ न उड़ने की चीज हैँ मतलब साफ हैँ कि हमें पैसों की नहीं जरूरत की चीजें जिंदगी चलाने के लिए चाहिए जैसे चावल,दाल, आटा, सब्जी, मसाला एवं अन्य जीवन उपयोगी वस्तुएँ |
आज हम इसी पैसों की वर्तमान ताकतों के बारे में बताना चाहता हूँ कि कैसे इन पैसों की ताकत से देश की तकदीर देश की व्यवस्था द्धारा बदला जा सकता हैँ कैसे देश की गरीबी और बेरोजगारी सम्पूर्ण खत्म हो सकती हैँ कैसे हम सेना को दुनिया का सबसे ताकतवर सेना बना सकते हैँ कैसे शिक्षा और चिकित्सा मुफ्त और दुरुस्त कर सकते हैँ कैसे किसी शहर का चंद दिनों में हाई टेक बना सकते हैँ कैसे अपनी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा कर सकते हैँ कैसे हम बिना भेदभाव के शान्ति से रह सकते हैँ
दुनिया में शान्ति कैसे स्थापित कर सकते हैँ और कैसे भारत को दुनियां का नंबर 1देश बना सकते हैँ कैसे रोड बिजली पानी रौशनी हवाई यात्रा बेहतर कर सकते हैँ | आज का युग बिलकुल सुसज्जित और संगठित हैँ अब पहले जैसे राजा वाला युग नहीं हैँ अब आम जनता का पैसा हो या देश का पैसा एक ही जगह सरकारी बैंक में रहता हैँ
अब देश और राज्य चलाने के लिए जनता को जबरन लुटा नहीं जाता बल्कि कुछ टैक्स लेकर राज काज चलाया जाता हैँ जबकि यह व्यवस्था भी पहले की व्यवस्था का ही रूपांतर हैँ अब टैक्स लेने की जरूरत नहीं हैँ पर आम जनता को शुरू से ही टैक्स देने की लत लग चुकी हैँ और उसे लगता हैँ कि ये सही हैँ क्योंकि सरकार में बैठे हुए पढ़े लिखें लोग ऐसी ही शिक्षा देते आ रहे हैँ इसीलिए जनता भी मान चुकी हैँ कि बिना टैक्स के देश कैसे चलेगा
जिसका फायदा सरकार आसानी से अनेक प्रकार के टैक्स लगाकर चलाती हैँ और जनता इसके लिए कभी आवाज भी नहीं उठाती इसमें भी दो पक्ष हैँ एक सरकारी कर्मचारी अधिकारी दूसरा किसान मजदूर | वह भी सरकारी कर्मचारी हमारे ही बीच के लोग होते हैँ जो सरकार के लिए काम करते हैँ और सरकार की ही भाषा बोलते हैँ जो आसानी से सरकार की बातों को किसान मजदूर को समझाने में सफल हो जाते हैँ और आम लोग भी उसी पर विश्वास कर बैठते हैँ इसी विश्वास के कारण आम जनता का शोषण आजादी के बाद से भी होते आ रहा हैँ |
देश को चलाने के लिए दो प्रकार की शक्ति की जरूरत हैँ एक हैँ Human Resource(मानवीय शक्ति) मतलब देश की जनसंख्या हमारी ताकत हैँ कमजोरी नहीं और दूसरा Natural Resource (प्राकृतिक शक्ति )मतलब जल जंगल खनिज पदार्थ | इसी से कोई भी देश का काम और विकास एवं लोगों की जिंदगी चलती हैँ दुनिया में और कोई तीसरी ताकत नहीं हैँ जहाँ से अपने आप टपकता हो |कुछ चीजें हम बनाते कुछ चीजें आप चाहे रुई हो या सुई या उड़ता जहाज सभी को इंसान ने ही प्रकृति के सहयोग से बनाया है | एक चीज और बताना चाहता हूँ कि सरकार के गलत नीतियों के कारण हमें मिलावट वाली खाने की चीज खरीदकर खाने को मजबूर हैँ जिसके कारण आम आदमी के सेहत का साथ खिलवाड़ होता हैँ क्योंकि अधिक
मुनाफा कमाने की होड़ और टैक्स का भारी बोझ इंसान को हैवान बना रहा हैँ जो साइलेंट poision हैँ मतलब आदमी को मिलावटी खानो का असर धीरे शरीर पर होता हैँ और आदमी जीते जी मर जाता हैँ हम इसे भी बचा सकते हैँ और आम लोगों को शुद्ध सामान बिना मिलावट का दिया जा सकता है |
राष्ट्रीय आम जनशक्ति पार्टी का नारा हैँ हर समस्या का हैँ एक उपचार हर हाथ में हो एक रोजगार जब हाथ में होगा रोजगार नहीं उठेगा कोई हथियार सरकार बनाओ सरकारी नौकरी पाओ यह को बड़ी बात नहीं हैँ सरकार सबको सरकारी नौकरी दे सकती हैँ और देने में सक्षम भी हैँ पर व्यवस्था चलाने के लिए सबको सरकारी नौकरी नहीं दिया जा सकता | पर पढ़े लिखें लोगों को वैसे जगहों पर एडजस्ट किया जा सकता हैँ जहाँ सरकार अबतक उस सेक्टर पर अभीतक जिस ढंग से ध्यान देने की जरूरत हैँ नहीं दिया हैँ जैसे कृषि पशुपालन मत्स्य पालन मुर्गी पालन जहाँ से हम उत्पादन करके देश को शुद्ध अन्न दूध घी तेल सब्जी खिला सकते है और इस सेक्टर में करोड़ में रोजगार पैदा होंगे |
सरकार का पैसा और आम आदमी के पैसे खर्च में धरती आसमान का अंतर हैँ जहाँ आदमी खर्च करता हैँ तो उसका पैसा खर्च हो जाता हैँ जबतक दोबारा पैसा नहीं कमाएगा तबतक उसके पॉकेट में पैसा नहीं आएगा वहीं सरकार पैसा खर्च करती हैँ तो उसका पैसा खर्च करने से पैसा बढ़ने लगता हैँ कैसे इस गणित को समझे जैसे सरकार बहुत सारे अनुदान देती हैँ अपने सरकारी कर्मचारी को वेतन और पेंशन देती हैँ आखिर इतना पैसा सरकार कहाँ से लाती हैँ |
क्या होता हैँ? सरकार अनुदान हो या वेतन या पेंशन महीने के अंतिम दिन उसके खाते में ट्रांसफर कर देती हैँ मतलब पैसा खाता में भेजने के बाद भी पैसा सरकार के खजाना में ही रहता हैँ पैसा भेजने के बाद देने और लेने वाला दोनों खुश लेने वाला इसलिए खुश हो जाता हैँ कि उसके खाते में पैसा आ गया हैँ तो अपनी जरूरत की चीजों को खरीद सकता हैँ वहीं देनेवाला भी उतना ही खुश होता हैँ कि चलो काम के बदले जो मजदूरी था यानि वेतन पेंशन वो दे दिया फिर भी पैसा हमारे ही पास हैँ जबतक पैसा बैंक से नहीं निकालेगा तबतक कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन आपके मन एक सवाल जरूर उठेगा कि ये नेताजी क्या समझा रहे हैँ क्या जिनको पैसा मिला हैँ तो क्या वो अपना पैसा नहीं निकालेंगे| बिलकुल निकालेंगे यही से तो मुख्य काम होता हैँ जिससे देश चलता हैँ रोजगार मिलता हैँ रोजगार पैदा होता हैँ कैसे मान लीजिए देश में पांच करोड़ सरकारी कर्मचारी अधिकारी हैँ तो क्या होगा सब अपने खाते से पैसा निकालेंगे पैसा तो खाने की चीज हैँ नहीं हाँ उस पैसा से अपनी जरूरत की चीजों को खरीदने के लिए किसी न किसी आसपास के दुकानदार के पास जायेंगे ज्योंही उस दुकानदार को पैसे देंगे और वह दुकानदार उस पैसे के बदले में आपको सामान देगा इस बीच में क्या होता हैँ पैसों और सामान का ट्रांसक्शन होता हैँ मतलब जो आपने पैसा दुकानदार को दिया तो वह पैसा वह दुकानदार अपने बैंक खाता में डालेगा तो क्या हुआ आपका खाता माइनस और दुकानदार खाता प्लस और सरकार का पैसा बराबर हो गया मतलब जितना पैसा कर्मचारी को दिया वो दुकानदार के बहाने अपने खजाने में डलवा लिया मतलब एक हाथ से लिया और दूसरे हाथ से ले लिया| वहीं सरकार को GST से 28% इनकम टैक्स सेस से पैसा खजाना में भरता हैँ तो जो व्यवस्था इतनी ताकतवर और मजबूत हैँ जिसका पैसा खर्च करने से घटता नहीं बढ़ता हैँ फिर सरकार खर्च करने से क्यूँ डरता हैँ| देश का पढ़ने वाला बच्चा को बढ़िया स्कूल बेंच डेस्क बढ़िया सड़क सड़क पर रौशनी बढ़िया पानी बिजली पुल पुलिया रोजगार, सेना को जरूरत मंद हथियार क्यूँ नहीं मुहैया कराया जाता अस्पताल में मरीजों को बेड अस्पताल में दवाई डॉक्टर की कमी आखिर क्यूँ? इसे भी समझे एक आदमी को क्या अधिकार है और सरकार को क्या अधिकार हैँ जहां आदमी को सिर्फ अपनी जमीन को खोद कर अन्न उत्पादन करने और खुद खाने और देश को खिलाने का अधिकार और जिम्मा हैँ आप अपने जमीन का मालिक भी नहीं हो बल्कि असामी मतलब रैयत हो वहीं आपको अपने पैसे पर भी सिर्फ खर्च करने और काम चलाने का अधिकार हैँ बाकि पैसों पर सरकार का परोक्ष रूप से अधिकार होता हैँ और बैंक खातों में भी खाता धारक के नाम के पहले नामे लिखा रहता हैँ मतलब साफ हैँ कि आम आदमी को सिर्फ इतना ही अधिकार दिया गया हैँ ताकि अपनी मेहनत से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करें और सरकार और देश को मदद करें बाकि सारे चीजों पर अधिकार सरकार का होता हैँ | एकबार देश की बुद्धि जीवी आम नागरिक को खड़ा होना होगा बेहतर कल के लिए अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए वर्तमान को बेहतर बनाने के लिए जो संभव है हो सकता हैँ