
पाकिस्तान पर भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कूटनीतिक स्ट्राइक कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने पांच बड़े फैसले लिए. भारत के इन 5 फैसलों से पाकिस्तान के सुधरने की तो गुंजाइश नहीं है, लेकिन उसका बहुत कुछ बिगड़ना जरूर तय है. यही कारण है कि आनन-फानन में पाकिस्तान ने गुरुवार को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुला ली है. अब समझिए भारत के लिए वो 5 फैसले और पाकिस्तान पर उसका पड़ने वाला असर.
भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है. वो भी तब तक जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद से तौबा न कर ले. नदियों के जल बंटवारे के लिए भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि 1960 में की थी. इस संधि में विश्व बैंक मध्यस्थ था. इस संधि पर कराची में 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे. पाकिस्तान की लाइफलाइन सिंधु नदी है. ये भारत से होकर पाकिस्तान पहुंचती है. सिंधु जल संधि के कारण अब तक पाकिस्तान इसका दोहन करता रहा है. भारत के इस फैसले से पाकिस्तान को पानी की किल्लत हो सकती है.
भारत ने एक मई से अटारी बॉर्डर बंद करने का ऐलान किया है. अटारी-वाघा सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच सड़क मार्ग से होने वाले व्यापार का प्रमुख केंद्र है. 2019 में भारत द्वारा पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस लेने और व्यापारिक रिश्तों में कटौती के बाद भी, कुछ वस्तुओं (जैसे ताजे फल, सीमेंट, और टमाटर) का आयात-निर्यात इस सीमा के जरिए होता रहा है.इस चेकपोस्ट के बंद होने से पाकिस्तान को भारत से टमाटर, चीनी, चाय, और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात प्रभावित होगा, जिससे वहां इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं. 2019 में जब पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते तोड़े थे, तब वहां जीवनरक्षक दवाओं और कच्चे माल की कमी हो गई थी.
भारत ने नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को “व्यक्ति गैर-वांछित” घोषित किया गया है और उन्हें भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है. दोनों उच्चायोगों से सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी वापस बुलाया जाएगा. नई दिल्ली इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से ऐसे सलाहकारों को भी वापस बुलाएगा.इससे पाकिस्तान पर आतंकवादी देश होने का तमगा और मजबूत होगा. हर देश उससे दूरी बनाकर रखना चाहेगा. उसके नागरिकों को दूसरे देशों में आतंकवादी होने के शक में वीजा लेने में दिक्कत होगी. जो दूसरे देशों में रह रहे हैं, उन्हें भी संदेह की नजरों से देखा जाएगा. पाकिस्तान में कोई निवेश नहीं करना चाहेगा.
भारत में स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की कुल संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा. ये 01 मई 2025 तक किया जाना है.इससे कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा. पाकिस्तान उच्चायोग के जरिए आतंकवादियों की मदद करता रहा है. साथ ही भारत विरोधी लोगों को अलग-अलग तरीके से फंड करता रहा है. अब इन कर्मचारियों की कमी की वजह से उसके गलत कामों में कमी आएगी. साथ ही उसकी इंटरनेशनल बेइज्जती भी होगी.
पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) वीजा के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी एसवीईएस वीजा को रद्द माना जाएगा. एसवीईएस वीजा के तहत वर्तमान में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे हैं.इससे भारत आने की चाह रखने वाले पाकिस्तानियों को अब मुश्किल होगी. उन्हें अब वीजा नहीं मिल पाएगी.
प्रधानमंत्री के इस निर्णय का राष्ट्रीय आम जनशक्ति पार्टी नेता सुरेश कुमार ने समर्थन किया है और पाकिस्तानी हरकत को पूरी तरह नेस्तनाबूत करने की वकालत की है
