
बिहार के लालू राज को जंगलराज कहना कितना सही और कितना गलत यह समझना जरुरी हैँ |लालू यादव पिछड़े समुदाय से आनेवाले मजबूत नेता के रूप में 1990 में उभरे जिन्होंने बिहार की सत्ता संभाली |सत्ता आने के बाद उन्होंने पिछड़ो की मजबूत गोलबंदी किया और सभी पिछड़े दलित जातियों को एकजुट करके उसकी ताकत का एहसास कराया उस समय इन वर्गों में कोई संगठन मजबूत नहीं था| लालू यादव ने संगठन और संगठित होने के महत्त्व को समझया जिसका नतीजा हुआ कि बिहार ही नहीं पूरे देश में पिछड़े और दलितों क़ी गोलबंदी हुई इसी बीच मंडल कमीशन वी पी सरकार में लागू हुआ जिसका विरोध सवर्णों ने पुरजोर ढंग से किया जिसका नतीजा हुआ कि पिछड़े और दलितों की गोलबंदी काफी तेजी से हुआ |इतना ही नहीं लालू यादव ने पिछड़े और दलित वस्ती में जाकर पढ़ने लिखने पर जोर दिया और दलितों के बच्चे को साबुन से नहलाकर साफ कपड़ा पहनने और रहने का सन्देश दिया जिसका असर धीरे धीरे इन समाज पड़ा |दूसरी तरफ सदियों से जमींदारों के चंगुल में रहने वाले गरीबों को बोलने की ताकत दिया जो गरीब जमींदारों के सामने खड़ा होने की हिम्मत नहीं कर पाता था वह भी साथ में बैठकर बात करने लगा थाना ब्लॉक या अन्य कार्यालयों में बेधड़क जाने लगा क्योंकि जो डर पहले था वह डर लालू यादव के कारण निकल गया था |इधर ये सब बातें उनलोगों को पसंद नहीं था जो सदियों से गरीब पिछड़े दलितों को अपने इच्छानुसार नचाते आ रहे थे उनलोगों को लगा कि लालू यादव हमलोगों के लिए खतरा हैँ पर लालू यादव नुकसान किसी का नहीं किया लालू यादव ने सिर्फ समाज में जो भेदभाव था उसको खत्म किया जिसका फायदा सबको मिला लेकिन सवर्णों को यह बात कतई पसंद नहीं था न हैँ जिसका परिणाम हुआ कि पिछड़े और दलितों की गोलबंदी से लालू यादव सबसे ताकतवर नेता बने और गरीबों के भगवान बन गए फिर क्या था सवर्णों ने सोचा लालू यादव को कैसे परास्त करे मुश्किल था सामने से विरोध कर लालू यादव को परास्त करना फिर धीरे लालू यादव के पार्टी में आकर इसका फायदा उठाना शुरू किया और इस जाति के अपराधी प्रदेश में अपहरण फिरौती हत्या लूट से सरकार को बदनाम करवाना शुरू किया सबको मालूम हैँ लालू राज में कौन कौन जाति के लोग अपहरण फिरौती का काम करते थे उस समय के सूर्यभान छोटन शुक्ला भूटकून शुक्ला, सुनील सिँह, जैसे अपराधी का बोलबाला था और इनलोगों ने जो गरीबों का राज सचमुच में था उस गरीब राज को जंगल राज में बदनाम किया क्योंकि लालू राज में गरीब पिछड़े दलित का बोलबाला था इनकी हर जगह चलती थी सवर्णों को भी किसी काम के लिए पिछड़े दलित नेताओं के हाजरी लगानी पडती थी ये था सचमुच में लालू यादव का शाशन काल लालू यादव ने आजादी के बाद सचमुच में गरीबों दलितों और पिछड़ो को आजादी का एहसास कराया |यह बदलाव साधारण नहीं था उन्हें अपने सही जिंदगी का एहसास हुआ |इस तरह लालू यादव ने पिछड़े दलितों को उसके ताकत को एहसास कराकर लड़ने लायक बनाया ताकि अधिकार की लड़ाई लड़ सके पिछड़े दलितों के लिए लालू राज को इतिहास में स्वर्णिम काल के रूप में जाना जाएगा |लालू यादव ने मुसलमानो को बड़ी ताकत देने का काम किया बिहार में दंगे होने से रोका और जहाँ भी दंगा हुआ वहाँ खुद जाकर दंगा रोकने का काम किया और जान माल को नुकसान से बचाया जिसके कारण लालू यादव इन समुदायो में अपनी छाप छोडी और यादवों को मुसलमान के साथ मिलकर MY समीकरण बनाया म का मतलब मुसलमान और Y का मतलब यादव और यह समीकरण मजबूती के साथ आज भी लालू यादव के साथ खड़ा हैँ | पिछड़े और दलितों के संगठित होने का फायदा इन वर्गों के नेताओं को मिला |लालू यादव की देन हैँ कि देश ही नहीं कई राज्यों में पिछड़े और दलितों के प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री और मंत्रियो की भरमार हैँ |