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अलग हुए पति-पत्नी अपने अहंकार की संतुष्टि के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं :हाईकोर्ट की टिप्पणी

उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता महिला की याचिका खारिज करते हुए उस पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पीठ ने कहा कि यह याचिका कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है और इससे अदालत का कीमती समय बर्बाद हुआ है।

high court says estranged spouses can go to any extent to satisfy ego on plea over child birth record

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि अलग हुए माता-पिता अपने अहंकार की संतुष्टि के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। पीठ ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। महिला ने अपने बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में सिर्फ अपना नाम दर्ज कराने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने महिला की याचिका खारिज कर दी।

वैवाहिक विवाद कई मुकदमों को जन्म देते हैं’
उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के जस्टिस मंगेश पाटिल और जस्टिस वाई जी खोबरागड़े ने 28 मार्च को दिए आदेश में कहा कि परिजनों में से कोई भी अपने बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र को लेकर किसी अधिकार इस्तेमाल नहीं कर सकते। पीठ ने कहा कि ये याचिका इस बात का उदाहरण है कि वैवाहिक विवाद किस तरह से कई अन्य मुकदमों को जन्म देते हैं। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता महिला की याचिका खारिज करते हुए उस पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पीठ ने कहा कि यह याचिका कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है और इससे अदालत का कीमती समय बर्बाद हुआ है।

38 वर्षीय महिला ने याचिका दायर कर उसके बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ उसके नाम पर जारी    करने की मांग की थी। महिला ने कहा कि बच्चे का पिता बुरी आदतों का शिकार है और उसने कभी बच्चे की शक्ल भी नहीं देखी है। ऐसे में जन्म प्रमाण पत्र पर सिर्फ उसका नाम होना चाहिए। पीठ ने कहा कि पिता अगर बुरी आदतों का शिकार है तो भी महिला एकल परिजन होने का दावा नहीं कर सकती। उच्च न्यायालय ने कहा कि ये दिखाता है कि अलग हुए पति-पत्नी अपने अहं को संतुष्ट करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

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