दुनियाराजनीति

नेपाल में राजशाही समर्थकों के आंदोलन का चेहरा बना पूर्व माओवादी नेता, कभी ओली-प्रचंड के साथ थी गहरी दोस्ती

Nepal

यह वही दुर्गा प्रसाई हैं जिनकी 2017 में पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल प्रचंड और केपी शर्मा ओली को अपने आवास पर लंच कराने की तस्वीर वायरल हुई थी I  ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वामपंथी गठबंधन बनाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टियों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी.

                                                                                                                               नेपाल में राजशाही समर्थकों का विरोध प्रदर्शन जारी है और सोमवार को भी काठमांडू की सड़कों पर जोरदार प्रदर्शन देखा गया. साल 2008 के बाद से राजा के समर्थन..में यह सबसे बड़ा और सबसे लंबा चलने वाला आंदोलन है, जब आखिरी हिंदू राष्ट्र में राजशाही को खत्म कर दिया था. काठमांडू में शुक्रवार को राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों की ओर से हुई हिंसा और आगजनी में तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया.

आंदोलन को लीड कर रहे प्रसाई

इस आंदोलन के बारे में अब तक जानकारी थी कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की अगुवाई में ये प्रदर्शन हो रहे हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में ज्ञानेंद्र शाह को ही हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया है. लेकिन आंदोलन में पूर्व माओवादी गुरिल्ला दुर्गा प्रसाई सबसे आगे हैं. कथित तौर पर चीन द्वारा समर्थित माओवादियों ने ही राजा ज्ञानेंद्र शाह को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया था.नेपाल में सियासी वादा खिलाफी और भ्रष्टाचार ने ही राजशाही के पक्ष में भावनाओं को बढ़ावा देने का काम किया है. राजशाही के खात्मे के बाद से इस हिमालयी देश .ने 17 साल में 13 सरकारें देखी हैं. माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व में विद्रोह और आंदोलन के बाद ही 2008 में राजशाही का अंत हुआ था. अब 15 साल से ज़्यादा समय के बाद पूर्व माओवादी प्रसाई, राजा को संवैधानिक प्रमुख के रूप में वापस लाने और ज्ञानेंद्र शाह को नारायण हिती पैलेस में बैठाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैंI

हिन्दू राष्ट्र बनाने की खाई कसम

प्रसाई ने शुक्रवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस बैरिकेड तोड़ते हुए अपनी कार संसद भवन की ओर बढ़ाई थी. दुर्गा प्रसाई कारोबारी हैं जो फिलहाल फरार हैं. पुलिस द्वारा तलाश किये जाने पर पूर्व माओवादी ने साफ किया कि वह देश छोड़कर नहीं भागे और इस समय काठमांडू के एक मंदिर में हैं. देश के लोग अपनी सदियों पुरानी हिंदू राजशाही जड़ों की ओर लौटने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. यह माओवादी नेता से ओली सरकार को उखाड़ फेंकने की धमकी देकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है…उन्होंने राजशाही को बहाल करने और नेपाल को फिर हिंदू राष्ट्र बनाने की कसम खाई है. 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!